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कर्ता : श्री पूज्य यशोविजयजी महाराज 2 मैं कीनो नहीं तुम बीन और शुं राग.. (२) दिन दिन वान वधत गुन तेरो, ज्युं कंचन पर भाग;
औरनमे है कषायोकी कालिमा, सो क्यु सेवा लाग...मैं. १ राजहंस तुं मान सरोवर, और अशुचि रुचि काग; विषय भुजंगम गरुड ते कहीये, और विषय विष नाग...मैं.२
और देव जल छिल्लर सरीखे, तुं तो समुद्र अथाग; तुं सुरतरु जग वांछित पूरण, और तू सूके साग...मैं.३ तुं पुरुषोत्तम, तुं ही निरंजन तुं शंकर वडभाग; तुं ब्रह्मा, तुं बुद्ध महाबल, तुंहीं ज देव वितराग...मैं.४ सुविधिनाथ तुम गुन फुलन को मेरो दिल है बाग, जश कहे भ्रमर रसिक होय ताको दिजे भक्ति पराग...मैं.५
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