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________________ (३१) २२. श्री नेमिनाथ परमात्मानी स्तुति : प्रकाशी छो स्वामी शशि रवि थकी भाप अधिका; अभिष्टोने आपी अधरित करी कल्पतलिका; थया सौथी मोटा; शियळधर राजीमती तजी%B नमुं नित्ये नेमि-प्रभु पद पयोजे प्रणयथी चैत्यवंदन: नेमिनाथ बावीशमा; शिवादेवी माय; समुद्रविजय पृथिवीपति; जे प्रभुना ताय ॥१॥ दशह धनुषनी देहडी, आयु वरस हजार, शंख लछन धर स्वामीजी, तजी राजुल नार ॥२॥ शौरीपुरी नयरी भली मे, ब्रह्मचारी भगवान, जिन उत्तम पद पद्मने नमतां अविचल ठाण ॥३॥ स्तवन: तोरणथी रथ फेरी गयोरेहां, पशुंभा शिर देई दोष; मेरे वालमा। नवभव नेह निवारीयो रेहां, शो जोई आच्या जोष ॥१॥ मेरे... चंद्र कलंकी जेहथी रे हां, राम ने सीता वियोगा। तेह कुरंग ने वयणडे रे हां, पतिआवे कुण लोक ||२|| मे...... उतारी हुँ चित्तथी रे हां, मुगति धूतारी हेत, सिद्ध अनंते भोगवी रे हां, तेह शुं कवण संकेत ॥३॥ मे......। प्रीत करंता सोहली रे हां, निरवहतां जंजाल, जेहवो व्याळ खेळाववो रे हां, जेहवी अगननी झाळ || मे..... जो विवाह अवसर दिओ रे हां, हाथ उपर नवि हाथ, दीक्षा अवसर दीजीये रे हां, शिर उपर जगनाथ ॥५॥ मे...
SR No.032202
Book TitleChovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Vidyarthi Kalyan Kendra
Publication Year
Total Pages58
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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