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________________ १००] श्री प्राचीनस्तवनावली धन्ना० ॥ १६ ॥ नित ऊठ घोड़ला फेरताए माता, नित ऊठी वांगा जाय। ए बत्तीशी राणीया ए माता, निश्चय नरक ले जाय || माता० ॥ १७ ॥ तुं मुझ आंधा लाकड़ीरे धन्ना, जे कोइ टेको होय । जो लाकड़ी टूटी पड़ेरे धन्ना, अंध खराबी होय ॥ धन्ना० ॥ १८ ॥ रत्न जड़तरो पींजरो ए माता, सूओ जाणे छे फंद । काम भोग संसारना ए माता, दीसे छे दुःख दंद ॥ माता० १९ ॥ माताने समझायनेरे धन्नो, जावा लागो जा म ताम आवीने वीनवेहो पिउ, हाथ जोड़ीने शाम ॥ पिउ मति जावोरे, मति जावो छोड़ी नार” ॥ २० ॥ घणे आडंबर परणिया हो पिउ, भोगवो भोग रसाल । झटके छोड़िने चालिया हो पिउ, ऊठे छे मनमें झाल ॥ पिउ० ॥ २१ ॥ वार अनंती परणीया ए प्यारी, तुम सरिखा घणी नार । छोड़ी छोड़ने चालिया ए प्यारी, कोइ न आवी लार ॥ "प्यारी म्हेंतो लेशांए, प्यारी लेशां संजम भार " ॥ २२ ॥ भर यौवन सुख भोगवो
SR No.032200
Book TitlePrachin Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMannalal Mishrilal Chopda
PublisherMannalal Mishrilal Chopda
Publication Year1934
Total Pages160
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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