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श्री प्राचीनस्तवनावली
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॥ ९ ॥ लोच हुवे अतिदोहिलोरे धन्ना, थें छो अति सुखमाल गुरू आणामें चालणोरे धन्ना, संजम नहीं छे खियाल ॥ धन्ना० १० ॥ लोच नहीं छे दोहिलोए माता, दोहिलो गर्भ भंडार । शूल वेदना में सही माता, संसार में नहीं सुख ॥ माताο ॥ ११ ॥ पातरामाहिं वेरणोरे धन्ना, खावणो का चलीमांह | नित्य भूमिये सोवणोरे धन्ना, धरिये न दुःख मन मांह ॥ धन्ना० ॥ १२ ॥ वार अनंती जीवड़ो ए माता, जीम्यो ठीकर खंड । शूली वर सूतो रह्यो माता, नरक में सही बहु ठंड ॥ माता० ॥ १३ ॥ धन्न घणो घर मांहिनेरे धन्ना, ए सुखलेणी नार । छोड्यासे पछ तावसोर धन्ना, मेरु ज्युं संजम भार ॥ धन्ना० ॥ १४ ॥ धन्नरे वे घर मांहिनेरे ए माता, नारी देसी छोड़ | चारित्र तो चिंतामणि ए माता शिवरमणी रो मोड़ ॥ माता० ॥ १५ ॥ नित ऊठी घोडला फेरतारे धन्ना, नित ऊठी वागा जाय । ए बत्तीसी राणीयारे धन्ना, ऊभी रही विलखाय ॥