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श्री प्राचीनस्तवगायली . . . . [९७ इग्यारे भला. गणधर । श्रावण मास तिथि अष्टमीरे वारी, चन्द्रवार सुखकार ॥ अब० ॥ २१ ।। मरुधर देश मांहे अछेरे वारी, नाम सुख, नाम चंद श्रावक तो सब सुखी वसेरे वारी, करे धर्मका काम ॥अब० ॥२२॥ झरमर वरसे मेहलारे वारी, चिहुं दिशि चमके, चिहुं० वीजराजूल ऊभी गोखड़ेर वारी, मदन करत मनखीज ॥अब०॥२३॥
श्रीधन्ना अणगारनी सिज्झाय ॥
एक दिन वीरवाणी सुणीनेरे धन्नो, आयो जननी पास, कहे जिनधर्म जाण्यो सही ए माता, काल जाये श्वासोश्वास ॥ “ माता हुँतो लेशुं है, जननी लेशु संजम भार। ए संसार असार छे माता लेशु संजम भार" ॥ टेक ॥ १॥ शीयालामें शी घणो धन्ना, उनाले लू झाल । चौमासे झड़ वादलीरे धन्ना, ए दुःख किम सहे बाल ॥ धन्ना हुँतो वारीरे जाया, मत लेवो संजमभार ॥ २॥ हिमाले