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________________ wuuuuuuuuuuu . . श्री प्राचीनस्तवनावली ॥ १४ ॥ चैतज मासज चमकियो रे पिया, फूल्यो सब वन ॥ फू० राय । फूलीह तिरिया कामणी रे वारी, कन्त पियो सुखदाय ॥ अब० ॥ १५ ॥ वैशाखा वेलू जलेरे पिया, दाझे तनसुख ॥दाझे० माल ॥ कामणगारो कंथजी रे, वारी, वेगा आय संभाल ॥ अब० ॥ १६ ॥ जैठ तपे लू आकरी रे पिया, पूछ सकी नहीं। पूछ० वात। गिरिगुफा विराजिया रे, वारी, जादव नेमिनाथ ॥ अब० ॥१७॥ आषाढी आछी तरे रे बारी, छोड्यो सब छोड्यो० संसार । तीनसया परिवारसुं रे, वारी, पहोंती गड़ गिरनार ॥ अब० ॥ १८ ॥ राग भरी राजीमति रे वारा, लीधो संयम । लीयो० भार। चउपन दिन पेला गइरे । वारी, पहुंता मुक्ती मझार ॥ अब० ॥१९॥ सदगुरू साचा भेटियारे वारी, अमरचन्दजी, अ० गुरूराय । रूपचंद पाये नमीरे, वारी, राखो मुझ चरणा रे पास ॥ अब० ॥२०॥ चिहुं एक नव जाणीये रे वारी, भला
SR No.032200
Book TitlePrachin Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMannalal Mishrilal Chopda
PublisherMannalal Mishrilal Chopda
Publication Year1934
Total Pages160
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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