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श्री प्राचीनस्तवनावली . रे वारी अब किम माणु पिया मोज ॥अब०॥८॥ कार्तिक कंत न बाहुल्या रे पिया, ऊभी जोवू ऊभी० वाट ॥ म्हेल पधारो साहिबा रे पिया सूनी हीडोला खाट ॥ अब० ॥९॥ मगसर वैरी आवीयो रे पिया, देवण लागो ॥ देवण. दुःख ॥ऊंडे पड़दे पिया पोढव्या रे वारी, सर्व गया मुझ सुख ॥ अब०॥ १०॥ नेमजिणंद पाछा वल्या रे वारी आयो रे पापी आयो० पोसो तुम क्यों गिरि बेसी रह्या रे वारी, अबही छोड़ो पिया रोस ॥ अब० ॥ ११ ॥ माह महिनो आवीयो रे पिया, वाजे शीतल ॥ वाजे० वाय। शीयाले की रैन मेरे, वारी वालम आवे दाय ॥ अब० ॥ १२ ॥ ठंड पडे देह काँपती रे पिया, नहीं नणदलरा नहीं० वीर ॥ रातही काडं रोवती रे पिया, आसुड़े भीजो चीर ॥ अब० ॥ १३ ॥ फागुण पिया आवीयो रे वारी, सबको मन ॥ स० हरखाय । में फ्रागुण पिया केम रमुं रे वारी, वालम गयो वनमाय ॥ अब