________________
( १५ ) तिहां भूमिशोधन, दीप दर्पण, वाय विजण, धार, तिहां करिय कदली गेह जिनवर जननी मज्जनकार। वर राखड़ी जिन पाणी दियें ईम आसीस, जुग कोड़ा कोड़ी चिरंजीवो धर्म दायक ईश ।
ढाल इकवासानी जगनायकजी, त्रिभुवन · जनहित कारए। परमातमजी चिदानन्द घनसारए । जिन रयणीजी, दश दिश उज्जलताधरै। शुभ लगनेजा, ज्योतिष चक्रते संचरै। जिन जनम्याजी, जिन अवसर माता धरै। तिण अवसरजी, इन्द्रासन पिण थर हरै।
त्रोटक थरहरे आसन इन्द्र चितें कवण अवसर ए बण्यो । जिन जन्म उच्छव काल जाणों अतिही आनन्द्र ऊपन्यो। निज सिद्ध सम्पति हेतु जिनवर जाणि भगते ऊमह्यो । विकसंत वदन प्रमोद बधत देव नायक गह गह्यो ।
ढाल तव सुरपतिजी, घंटानाद करावए । सुरलोकजी, घोषणा . एह दिरावए । नर क्षेत्रंजी, जिनवर जन्म हुवो अछ । तसु भगतेजी, सुरपति मन्दिर गिरि पर्छ ।