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( १० )
गाथा जो निज मातम गुण आणदी, पुग्गल संगै जह अफंदी। जे परमेश्वर निज पद लीन, पूजो प्रणमो भव्य अदीन ॥१॥
कुसुमांजलि मेलो शांति जिणंदा॥
तेरा चरण कमल चौबीस पूजोरे, चौबीस सौभागी, चौबीस वैरागी जिणंदा।
कुसुमांजलि मेलो शांति जिणंदा( यह पढ़कर घुटनों पर टीकी लगानी चाहिये ) ॥२॥
गाथा निम्मल नाण पयास कर, निम्मल गुण संपन्न । निम्मल धम्म उवएसकर, सो परमप्या धन्न ।। ३ ।।
- ढाल लोका लोक प्रकाशक नाणा, भविजन तारण जेहनी वाणी। परमानन्द तणी नीसाणी, तसु भगते मुझ मति ठहराणी ॥१॥
कुसुमांजलि मेलो नेमि जिंणदा। तोरा चरण कमल चौबीस पूजोरे, चौबीस सौभागी, चौबीस वैरागी, चौबीस जिणंदा । ( यह पढ़कर दोनो हाथों पर टीकी लगानी चाहिये) ॥ ३ ॥
गाथा जे सिद्धा सिज्जन्ति जे, सिज्जिस्सन्ति अणंत । जसु आलंबन ठविय मन, सो सेवो अरिहन्त ॥ ४ ॥