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( ११ )
ढाल शिव सुख कारण जे त्रिकालें, सम परिणामें जगत निहालें। उत्तम साधन मार्ग दिखालें, इन्द्रादिक सु चरण पखालें ॥१॥
कुसुमांजलि मेलो पाव जिणंदा। तोरा चरण कमल चौबीस पूजोरे, चौबीस सौभागी, चौवीस वैरागी, चौबीस जिणंदा। कुसुमांजलि मेलो श्री पार्ब जिणंदा। (यह पढ़कर दोनों कन्धों पर टीको लगानी चाहिये)
गाथा सम दिट्टि देसजय, साहु साहुणी सार अचारिज उवझाय मुनि, जोनिम्मल आधार ॥ ५ ॥
ढाल चौविस संधै जे मन धारयो, मोक्ष तणो कारण निरधारयो । विविह कुसुम वरजात गहेवी, तसु चरणे प्रणमन्त ठवेवी ॥१॥
कुसुमांजलि मेलो श्री वीर जिणंदा। . . तोरा चरण कमल, चौबीस पूजोर, चौबीस सौभागी, चौबीस वैरागी, चौबीस जिणंदा। कुसुमांजलि मेलो श्री बीर जिणंदा(यह पढ़कर मस्तक पर टीची लगानी चाहिये) ॥५॥
॥ इति पाखंडी गाथा ॥