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णयणदिविरइयउ
[८.४१.१
हा हा णाह सुदंसण सुंदर सोमसुह । सुअण सलोण सुलक्खण जिणमइअंगरुह ॥ सुमरमि पढमसमागर्म विरहु असड्ढलउ । तह' विवाह करजोडणु तारामेलणउ ।। सुमरमि अणुदिणु रइहरे गाढालिंगणउ । हावभावसविलाससुविन्भमजंपण ॥ सुमरमि उववर्ण सरवरि कयजलकीलणउ । मम्मणमणियमणोहरु अहरावीलणउ ।। सुमरमि णवकोमलदलकुवलयताडणउ । मुत्साहलहारावलिबंधणछोडणउ ॥ सुमरमि सुरहिविलेवणु अंगहि भूसणउँ । वार वार मण्णावणु सपणयरूसणउँ॥ सुमरमि छुड़ छुडु चल्लिय बहुमाणे भरिय। चाडुएहिँ संबोहिय करपल्लवे धरिय ॥ सुमरमि सुरहियकेसरणियरे पिंजरिय । सुइपूरण किय सभसलसुरतरुमंजरिय ।। सुमरमि चारुकवोलहिँ पत्तावलिलिहणु। ईसि ईसि थणपेल्लणु वरकुंतलगहणु॥ तो वि ण फुट्टु महारउ हियडउ वज्जमउ ।
वुत्तु छंदु सुपसिद्धउ इय रासाउलउ ॥ घत्ता-हा हा हा विहि दुठ्ठ खल खउ किं ण जाहिँ रे तोडिय। __णिहि दक्खालेवि मज्मु पइँ लोयण पुणु कि उप्पाडियं ॥४१॥
४२ जइ वारिवाह णहि णोत्थरति' जइ तरु ससुक्क फल वित्थरंति । जइ मयहिँ सीह मारिय मरंति जइ मयणबाण जिणमणु हरति ।
४१. १ ख तहि ; घ तहे। २ क ग घ दिएणु रईहरे। ३ ख चुंबणउ। ४ ख ग घ भूसणभूसणउ । ५ ख तासणउ। ६ ग घ सररुह केसरें। ७ क ग घ जासि । ८ ख दिक्खालहि। ९ क पुणु उप्पाडिय ।
४२. १ ख णोयरंति। २ ख ससुक्ख ।