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८. ३४.८]
सुदंसणचरिउ
३३
कहिँ वसंतु कहिं उववणु अच्छइ कहिँ गरिंदु कीलेवउँ' गच्छइ । कहिँ हउँ तहिँ पहिट्ठ संचल्लिय कहिँ सा डोड्डि चवइ हरिसोल्लिय । कहिँ पंडियन एहु वढु आणिउ हा मइँ होंतु कज्जु ण वियाणिउ । हाँ मइँ सा भावण भाविजई ___जाट मरणु बंधणु पाविजइ। हउँ कविलाश लेवि संपेरिय पंडियान तइयहुँ विणिवारिय। हउँ जाणंति संति आयो गुण काइँ लग्ग असगाहें णिग्गुण । सगुणसरासणु व्व जइ रुचइ जंण माइ मुट्ठिहिँ त मुच्चइ। एस पासे णउ खज्जइ पिज्जइ एम वि गलडाहियश मरिज्जइ। परयारं पि होइ विरुयारं दुस्सहणरयदुक्खहकारं । जा ण किं पि केण वि जाणिज्जइ ता वर एहु तहिं वि घल्लिज्जइ। १०
(रयडा णाम पद्धडिया) घत्ता -इय चिंतिवि सविलक्खियण अभयामहएविश वणिवरु ।
चाउद्दिसु वेढिवि लइयउ विसवेल्लिष्ट णं चंदणतरु ॥३३।।
३४
लहु उक्खिवेवि' संचलिय जाम गय रयणि मिहुरु उग्गमिउ ताम । पेच्छिवि विहाणु बाहुडिय झत्ति चरिमंगु सयर्ण घल्लिउ दडत्ति । चंदणहि जेम लक्खणही रुढ दत्तही जि चिरु वीरवई धिट्ट। पज्जुण्णही जिह पुणु कणयमाल तिह सा वि वणिंदही हुय कराल । बीइंदुयारसूईमुहेहिँ
फाडिउ सरीरु णियकररुहेहि। घणथण सहंति लोहियविलित्त ..ण कणयकुंभ घुसिणेण सित्त । वच्छयलएसु हत्यहिँ हणति उट्ठिय हयास लहु इय भणंति । झसमुसलु परंगणरत्तचित्तु . महमाइहिँ दिण्णउ कहिँ पहुत्तु ।
(रयडा णाम पद्धडिया)
३३ १ ग घ कीलेवइ । २ क तई। ३ ख ग घ सा। ४ क वासिजइ । ५ क जि णिवारिय।. ६ क प्रसग्गहि । ७ ख एवहिं। ८ ग घ णरयहं दुक्ख हं कारं । ६ ख तहिं जि । १० क ग घ अंजणतरु ।
३४. १ क प्रक्खिविः घ उक्खेविवि। २ क चंदणमवि जिह। ३ ख वीरमहि । ४ ग घ वीयंदयार। ५ क महंत ।