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सुहृदंसणु चिंतइ उव्वरेमि
सुहृदंसणु चिंतइ कम्मणासु
सुहदंसणु चिंतणाणला हु सुहृदंसणु चिंतइ मोक्खमग्गु
सुहृदंसणु चिंतइ खवमि कम्मु सुहृदंसणु चिंतइ जगु अणिच्चु
दिविरइय
अभया चिंतइ सुंदरु धरेमि । अभया चिंतइ सुरयाहिलासु । अभया चिंतइ हुउ अंगे डाहु । अभया चितइ भुंजिउ ण भोग्गु । अभया चितइ मइँ किउ अहम्मु । अभया चिंतइ महु पत्तुमिच्चु ।
सुलह पायाल णायणाहु सुलह उ णवजलहरे जलपवाहु सुलह करी' घुसिणपिंडु
सुलहउ दीवंतरे विविहभंडु सुलहउ मलयायले सुरहिवाउ सुलह पहुपेसणे कर्णौ पसाउ सुलहउ रविकंतमणिहिँ हुयासु सुलह आग धम्मो सुलह मणुयन्तर्ण पिउ कत्तु जिणसासणे जंण कया विपत्त
घत्ता - सुहृदंसणु चिंतइ हियई अवहेरहि' अडयणसाहसु । अइसयकलाणहिँ सहिय- रे जीव अरुह आराहसु ||३१||
( रयडा णाम पद्धडिया )
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सुलहउ कामाउरे विरहडाहु।
सुलह वराय वज्जलाहु । सुलहउ माणससरे कमलसंडु । सुलहउ पाहाणे' हिरण्णखंडु ।
८. ३१. ३
सुलहउ गयणंगणे उडुणिहाउ । सुलह ईसा से जर्ण कसाउ । सुलहउ वरलक्खर्ण पयसमासु । सुलहउ सुकईयणे मइविसेसु । पर एक्कु जि दुलहु अइपवित्त । किह णासमि' तं चारित्तवित्तु ।
( रयडा णा में पद्धडिया )
घत्ता -एम वियपिवि जाम थिउ अविओलचित्तु सुहृदंसणु" । अभयादेवि विलक्ख हुयता नियमणे चिंतइ पुणु पुणु ॥३२॥
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३१.
२ ख रमेमि । ३ प्रतिषु 'अवहेरमि' |
३२. १ क ख कासीरए । २ ख पाखरिण । ३.वासु । ४. ख बहु । ५. क सुलह सावरणे ( टि० सावज्ञे मूर्खे दुर्जने मिध्यादृष्टि पुंसि ) । ६ क सुलहउ णवकंत
महि वासु । ७. ग घ 'लक्खणए । ८ ग घ दुलहउ । ६ क पामसि ।
१० क अवियलः ख अविचल । ११ ख सुदंसणु । वि पुणु ।
१२ ख हुय नियम चितइ पुणु
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