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सुदसणचरिउ
सुयंधुमंदो मलयदिमारुओ वसंतरायस्स पुराणुसारओ'।
जणंतु खोहं हियए वियंभए समाणिणीणं अणु माणु सुभए । जहिँ जहिँ मलयाणिलु परिधावइ तहि तहिँ मयणाणलु उद्दीवइ । अइमुत्तउ जहिँ वियसइ मुद्धउ छप्पउ किं ण होइ रसलुद्धउ । जो मंदारएण णिरु कुप्पइ सो किं अप्पउ कुडन समप्पई। सामल कोमल सरस सुणिम्मल कयली वजेवि केयइ णिप्फल । सेवइ फरसु वि छप्पउ भुल्लउ जं जसु रुच्चइ तं तसु भल्लउ । महमहंतु विरहिणिमणदमणउ कसु ण इट्ठ पप्फुल्लियदमणउ । जिणहरेसु आढविय सुचञ्चरि करहिँ तरुण सवियारी चच्चरि। कत्थई गिज्जई वरहिंदोलउ जो कामीयणमणहिंदोलउ । अहिसारिहि संकेयही गम्मइ गयवईहिँ गंडयलु" णिहम्मइ । पियविरहे पहियहिँ डोलिज्जइ अहवा महुमासे भुल्लिज्जइ । पत्ता-तो लेवि करंडु पुप्फफलावलिजुत्तउ ।
णरवइअत्थाणे लहु वणवालु पहुत्तउ ।।५।।
णरिंदचूडामणिघट्टपायहो कहेइ अटुंगु णवेवि रायहो । मणोज उज्जाणवणं सुफुल्लियं सहेइ भिंगावलिए य मिल्लियं ॥ वंसत्थ ॥
धुमुधुमिय महलइँ कणकणिय कंसाइँ । दुमुदुमिय गंभीर दुंदुहिविसेसाइँ"। दुंदुमिय उंदाइँ ढंढंत तिउलाई। अणवरय सलसलिय कंसालजुयलाई। रणझणिय तालाई त्रं त ढुक्काइँ ।
५. १ ख पुराणुसारो। २ ख अइमत्तउ। ३ ख कुरइ समप्पउ ग घ कुरा समप्पइ। ४ क णिज्जइ। ५ ख मंडयउ। ६ क पहियह ख पियहि ।
६. १ ख घिट । २ ख णवेइ। २ क पेल्लिय; ख मेल्लियं । ४ क कोसाई: घ सोसाई। ५. ख दुंदुहि ण घोसाई। ६ क दुंदुमई उंदाइयई; ख दुंदुम मऊघूई ग घ दुईंमउंदाई। ७ क टिउलाई। ८ क ख ग त्रां त्रां सढुकाई। . .