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जंजीर, दःख दारिद्र नासे, तिहअण जण कोटीर, आय वर्ष बहोतेर, सोवनवर्ण शरीर. १ ऋषभादिक जिनवर, सोहे जग चोवीश, वळी तेहना सुंदर, अतिशय वर चोत्रीश; भव दव भय भेदक, वाणी गुण पांत्रीश, जिन त्रिभुवन तीरथ, प्रह ऊठी प्रणमीश. २ प्रभु बेसी त्रिगडे, वीर करे वखाण, दान शील तप भाव, समजे जाण अजाण; संसार तणुं जेह, जाणे सकल विन्नाण, जिनवाणी सुणतां, फल लाभे कल्याण. ३ पाय झांझर झमके, घुघरीनो घमकार, कटि मेखल खलके, उर अकावली हार; सिद्धायिका सेवे, वीर तणो दरबार, कवि तिलकविजय बुध, सेवकनो जयकार. ४
(138) श्री महावीरस्वामीनी स्तुति प्रभु भव पचवीशमे, नंदन मुनि महाराज, तिहां बहु तप कीधा, करवा आतम काज; लाख अगीयार उपर, जाणो अंसी हजार, छस्सो पिस्तालीश, मास खमण सुखकार. १ अरिहंत सिद्ध पवयण, सूरि स्थविर उवज्झाय, साधु नाण दंसण वली, विनय चारित्र कहाय; बंभवय किरीयाणं, तव गोयम ने जिणाणं, चरण नाण सुअस्स, तित्थ विशस्थानक गुणखाण. २ इम शुभ परिणामे, कीधां तप सुविशाल, मुनि मारग साधन, साधक सिद्ध दयाल समकित समताधर, गुप्तिधर गुणवंत, नंदन ऋषि राया, प्रणमुं श्रुतधर संत. ३ धन्य पोटीलाचारज, सद्गुरु गुण भंडार, इम लाख वरस लगे, चारित्र तप सुविचार; पाळीने पहोंच्या, दशमा स्वर्ग मोझार, कहे दीपविजय कवि, करता बहु उपकार. ४
(139) श्री महावीरस्वामीनी स्तुति वंछित पूरण कल्पतरूसम, निर्जित मदन नरेशजी, सिद्धारथ कुलवंश विभुषण, दुषण नहीं लवलेशजी; त्रिशलानंदन दुरित निकंदन, साचोर नयरे सोहेजी, वीर जिणंद मुखचंद अनोपम, भविक कमल पडिबोहेजी. १ ऋषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति पद्मप्रभ वंदोजी, श्री सुपास चंद्रप्रभसुविधि, शीतल जिन सुखकंदोजी; श्रेयांस वासुपूज्य विमल अनंत जिन, धर्म शान्ति कुंथु अरमल्लिजी, मुनिसुव्रत नमि नेमि नमीजे, पास वीर सुख वल्लीजी. २ त्रिगडे बेसी जिनवर भाखे, आगम अरथ उदारजी, सूत्रनी रचना