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चारजी, चार निक्षेप सविजिन सेवो, जीम पामो भवपारजी, २ अती परंपर आगम जिनवर, गणधर साखे लख्युंजी, सुत्रथी मुनिवरने आप्यु, सुरनर आगे ते भाख्युंजी, साधु सूरी उवज्झाय विधीशुं, भणीगणी चित राख्युंजी, सुलभ बोधि अल्प संसारी, तिणे अनुभव चाख्युंजी ३ चीर चुंदडी चोळी चरणा, पहेरण झाक झमाळजी, ब्रह्मा यक्षा अशोका जक्षीणी, दिशे अती उजमालजी, शितल जिननी सेवा सारी, धर्मीने प्रतिपालजी, रूपविजय मुनि माणेक संघने, नीतनीत मंगल माताजी, ४
__(62) श्री वासुपूज्य जिनेन्द्र स्तुतिः पूज्यश्री वासुपूज्या,वृङजिन जिनपते नूतनादित्यकान्ते,-ङ माया-संसारवासा, वन वर तरसा, लीनवालानवाहो !, आनम्रा त्रायतां श्री, प्रभव भवभयाद्, बिभ्रती भक्तिभाजा, मायासं सारवाङसा,वनवरतरसा, लीनवाला नवाङहो. १ पूतो यत्पादपांशुः, शिरसि सुरतते,शिरच्चूरचूर्णशोभां, या तापत्राडसमाना, प्रतिमदमवति, हाङरता राजयन्ति; कीर्तेः कान्त्याततिः सा, प्रविकिरतुतरां, जैनराजी रजस्ते, यातापत्रासमाना, ङप्रतिमदमवती, हारतारा जयन्ति, २ नित्यं हेतूपपत्ति, प्रतिहतकुमत, प्रोद्धतत्वा-तबद्धा, पापायासाद्यमाना, मदनत वसुधा, सार ह्यद्या हितानी; वाणी निर्वाणमार्ग, प्रणयीपरिगता, तीर्थनाथक्रियान्मे,-पापाया गद्यमाना, मदनत वसुधा, सार ह्यद्याहितानि. ३ रक्षः क्षुद्रग्रहाद्री, प्रतिहतिशमनी, वाहितधेतभास्वत्, सन्नालिका सदाप्ता, परीकर-मुदिता, साक्षमाला भवन्तम्; सुभ्रा श्रीशान्तिदेवी, जगती जनयतात्, कुण्डिका भाति यस्याः, सन्नालीका सदाप्ता, परिकरमुदिता सा क्षमालाभवन्तम्, ४
(63) श्री वासुपूज्य जिनेन्द्र स्तुति श्री वासुपूज्यजी पुजिए, जिन चरण तणां फललीजीए, जयाराणी सुत जयंकरु, मन वांछित पुरण सुरतरु, १ पांच भरत पांच ऐरावतां, पांच महाविदेहमां विचरंता, त्रण चोवीश बहोंतेर जिना, वीश नमुं जिन सुखकरा, २ त्रिगडे बेठा जिन भणे, तिहां वयणे करी वखाण करे, जोजन लगी जिनवाणी विस्तरे, बार पर्षदा बेठी चितधरे, ३ शासनदेवी नाम प्रभा, संघ