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________________ 90 मली चोसठ इंद्र, पूजे प्रभुजीना पाय, इंद्राणी अपच्छरा, जोडी गुण गाय; नंदिर द्विपे, मली सुरवरनी कोड, अठ्ठाई महोच्छव, करे ते होडा होड. २ शेत्रुंजा शिखरे, जाणि लाभ अपार, चोमासुं रहिया, गणधर मुनि परिवार; भवियणने तारे, देई धर्म उपदेश, दूध साकरथी पण, वाणी अधिक विशेष. ३ पोसह पडिक्कमणुं, करीओ व्रत पच्चख्खाण, आठम दिन करीओ, अष्ट क़र्मनी हाण; अष्ट मंगळ थाये, दिन दिन क्रोड कल्याण, ओम सुखसूरी कहे, जीवित जन्म प्रमाण. ४ (60) आठमनी स्तुति अठ्ठमी वासर मज्जिम रयणी, आठ जाति दिशि कुमरीजी; जन्म घरे आवे गहगहति, निज निज कारज समरीजी; अढार कोडा कोडी सागर अंतर, तुज तोले कोण आवेजी; ऋषभ जगत गुरु दायक जननी, ईम कही गीत सुणावेजी. १ आठ कर्म चूरणकर जाणी, कलशा आठ प्रकारजी; आठ इंद्राणी नायक अनुक्रमे, आठनो वर्ग उदारजी; अष्ट प्रकारनी पूजा करीने, मंगल आठ आलेखेजी; दाहिण उत्तर दिशीजिनवरनो, जन्म महोत्सव लेखेजी. २ प्रवचन माता आठ आराधो, आठ प्रमादने छांडोजी; आठ आचार विभूषितागम, भणतां शिव सुख साधोजी; आठमे गुणठाणे चढी अनुक्रमे, क्षपक श्रेणी मंडाणजी; आठमे अंगे अंतगड केवली, वली पामो निर्वाणजी. ३ वैमानिक ज्योतिषि भवनाधिप, व्यंतर पति सुरनारीजी; क्षुद्रादि अडदोष निवारी, अडगुण समकित धारिजी; आठमे द्विप अठ्ठाई महोत्सव, करता भक्ति विशालजी, क्षमाविजय जिनवरनी ठवणा, चउसट्ठी सय अडालजी. ४ (61) शीतलनाथ जिन स्तुति शीतलजिन शीतलकारी, भविजनने मन भायाजी, शांत सुधारस नयन कचोळा, कनल सुकोमल कायाजी, दढरथ राय सुतं नंदा नदन - प्रणमे सुर नर पायाजी, जन्म जरा मरण ताप समाया, अहोनिश तुमगुण गायाजी, १. अतित अनागत हुंआ होंगे, जिनवर अनंत अपारजी, विहरमान जिन विचरे विशे महाविदेह मोझारजी, ऋषभ चंद्रानन वारिषेण वली, वर्धमान ए
SR No.032195
Book TitlePrachin Chaityavandan Stuti Stavan Parvtithi Dhalo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDinmanishreeji
PublisherDhanesh Pukhrajji Sakaria
Publication Year2001
Total Pages634
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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