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प्रत्येक वस्तु प्रतिपल जीर्ण हो रही है। सच तो यह है कि जिस दिन बच्चा पैदा हुअा उसी दिन से उसका जीर्ण होना प्रारम्भ हो गया है।
मुमुक्षु 'दीपक' !
धर्मलाभ।
वीतराग-परमात्मा की निरन्तर सानुग्रह कृपा-वृष्टि से पानन्द""प्रानन्द और आनन्द है। कल हो तुम्हारा वेदनासभर पत्र मिला।
"कार से अहमदाबाद जाते समय बीच में भयंकर दुर्घटना हो गई. दो साथी तो उसी समय मृत्यु की गोद में सो गए और मुझे भी गहरी चोट लगी."तत्क्षण तो मैं भी बेहोश हो गया था उसी समय मुझे अस्पताल में भर्ती किया गया. योग्य उपचार हुए पैर में भयंकर चोट लगने से दिन भर भयंकर वेदना/पीड़ा रहतो है और उस पीड़ा की भयंकरता से मन कभी-कभी आर्तध्यान के वशीभूत हो जाता है और कभी-कभी तो मृत्यु की भी इच्छा हो जाती है. ऐसी परिस्थिति में चित्त की समाधि और आत्म-शान्ति का पाप ही कुछ उपाय बताएँ।"
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मृत्यु की मंगल यात्रा-54