SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 15 किसके रोने से कौन रुका है, कभी यहाँ ? जाने को ही आए हैं, सच ही सब जाएंगे। चलने की ही तो तयारी बस जीवन है , कुछ सुबह-दोपहर में गए, कुछ डेरा शाम उठाएंगे। प्रिय मुमुक्षु 'दीपक' ! धर्मलाभ। परमात्म-कृपा से आनन्द है । ग्रामीण क्षेत्रों में विहार करते हुए जामनगर शहर में हमारा आगमन कुछ ही दिनों पूर्व हुआ था । थोड़े ही दिनों पूर्व यहाँ के नगरनिगम की ओर से ५० लाख रु. की लागत से नवीन कत्लखाना खोलने की योजना प्रस्तुत की गई थी। इस योजना के समाचार सुनकर समस्त अहिंसाप्रेमी जनता ने इसका जोर-शोर से विरोध किया। जाहिर सभा हुई. प्रवचन हुए""विरोध में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए। प्रजा के रोष व विरोध की वृत्ति को देखकर सरकार ने यह योजना रद्द कर दी। ___ अोहो ! भारत की आर्यभूमि सौराष्ट्र की पवित्र भूमि पर यह क्या हो रहा है ? मृत्यु की मंगल यात्रा-116
SR No.032173
Book TitleMrutyu Ki Mangal Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1988
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy