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किसके रोने से कौन रुका है, कभी यहाँ ? जाने को ही आए हैं, सच ही सब जाएंगे। चलने की ही तो तयारी बस जीवन है , कुछ सुबह-दोपहर में गए, कुछ डेरा शाम उठाएंगे।
प्रिय मुमुक्षु 'दीपक' !
धर्मलाभ।
परमात्म-कृपा से आनन्द है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में विहार करते हुए जामनगर शहर में हमारा आगमन कुछ ही दिनों पूर्व हुआ था । थोड़े ही दिनों पूर्व यहाँ के नगरनिगम की ओर से ५० लाख रु. की लागत से नवीन कत्लखाना खोलने की योजना प्रस्तुत की गई थी। इस योजना के समाचार सुनकर समस्त अहिंसाप्रेमी जनता ने इसका जोर-शोर से विरोध किया। जाहिर सभा हुई. प्रवचन हुए""विरोध में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए। प्रजा के रोष व विरोध की वृत्ति को देखकर सरकार ने यह योजना रद्द कर दी।
___ अोहो ! भारत की आर्यभूमि सौराष्ट्र की पवित्र भूमि पर यह क्या हो रहा है ?
मृत्यु की मंगल यात्रा-116