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संसार के सभी पदार्थ नाशवन्त हैं, क्षणिक हैं, परिवर्तनशील हैं।
धन विश्वास करने योग्य नहीं है । पुत्र, परिवार विश्वास करने योग्य नहीं हैं। शरीर भी विश्वास करने योग्य नहीं है ।
'तरंगतरलालक्ष्मी'--लक्ष्मी तो जल-तरंग की भाँति चपलचंचल व चलित स्वभाव वाली है।
आज तुम्हारा पुण्योदय है "तुम्हारे पास सम्पत्ति है, कल पापोदय होगा, वही सम्पत्ति दूर-सुदूर चली जाएगी, तुम हाथ मलते ही रह जाओगे।
पुत्र-परिवार स्वजन भी तभी तक अनुकूल रहते हैं, जब तक पुण्य का उदय होता है, पाप का उदय आने पर वे ही स्वजन अपने से विपरीत चलने लग जायेंगे।
• मगधसम्राट् श्रेणिक ने जिस पुत्र कोणिक को बड़े लाड़प्यार से बड़ा किया था, वही कोरिणक, बड़ा होने पर श्रेणिक को जेल के सींकचों में बंद करवा देता है.."और प्रतिदिन कोड़ों की मार लगवाता है।
• जिस सीता के लिए रामचन्द्रजी ने रावण के साथ भयंकर युद्ध खेला था. उसी सीता का जब पापोदय आता है, तब वे ही रामचन्द्रजी उसे भयंकर दण्डकारण्य वन में भिजवा देते हैं। • जिस ऋषिदत्ता के नगर-प्रवेश पर उसके श्वसुर ने उसका
मृत्यु-7
मृत्यु की मंगल यात्रा-97