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________________ २२ में रहे कोई सदैव कृष्ण भगवान के साथ वैकुण्ठ में, गोलोक वृन्दावन और सदैव इस भौतिक शरीर छोड़ने की प्रतीक्षा करता रहे। 'स्मरति नित्यशः' के माने हैं लगातार याद करना और जो लगातार कृष्ण भगवान का स्मरण करता है वह सरलता से कृष्ण भगवान को खरीद लेता है - " तस्याहम् सुलभ ।” कृष्ण भगवान स्वयं कहते हैं कि वे इस भक्ति योग के द्वारा सरलता से खरीदे जा सकते हैं । तो हम अन्य विधियों को क्यों स्वीकार करें ? हम दिन में चौबीस घण्टे “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे" का कीर्तन कर सकते हैं । इसके लिए कोई नियम या विधि नहीं है । कोई सड़क पर, रेलगाड़ी में, घर में या कार्यालय में कीर्तन कर सकता है। इसमें कोई कर या कोई व्यय नहीं है । तो क्यों न स्वीकार करें ?
SR No.032172
Book TitleJanma Aur Mrutyu Se Pare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA C Bhaktivedant
PublisherBhaktivedant Book Trust
Publication Year1977
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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