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१५३ ॐ ही श्री रूपे ( प्रज्ञस्त रूपवाली) मेरे ऊपर प्रसन्न होओ। ॐ श्री हे दिव्यानुभावे ! ( दिव्यप्रभावशाली ! ) मेरे उपर प्रसन्न होओ । ॐ ह्री श्री हे उज्ज्वले ! प्रसन्न होओ। ॐ हूँ। श्री हे उज्ज्वलरूपे ! प्रसन्न होओ। ॐ हूँी श्री हे ज्योतिर्मय ! प्रसन्न होओ। ॐ ही श्री हे ज्योती रूपधरे ! प्रसन्न होओ, मेरे घर को, मेरे घर के आगन को नन्दनवन करो। ॐ हे अमृत कुम्भे प्रसन्न होओ । ॐ हे अमृत कुम्भरूपे ! प्रसन्न होओ, भेरे सभी वाञ्छित पूर्ण करो, ॐ हे ऋद्धिदे ! प्रसन्न होओ, ॐ हे समृद्धि दे ! प्रसन्न होओ, ॐ श्री हे महालक्ष्मी ! प्रसन्न