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ध्यानशतकम्
१९(3.)
भावमन भिन्नमुहूर्त
भूतनिह्नववचन भूतोपघात वचन मतिज्ञान मत्व मनःपर्याय मनोयोग मरुदेवी मिथ्यात्व मिथ्यादर्शन मिथ्यादृष्टि मुखवस्त्रिका
विषयसंरक्षणानुबन्धी वीरासन वेदनीय वैमानिक व्यञ्जकहेतु व्यवहारनय व्युत्सर्गलिंग शक्ति शिल्पकला शैलेश्य श्रावक श्रुतज्ञान श्रुतज्ञानी
१८, २२, २३
३१, ४५
श्रुतधर्म
मुहूर्त
मृषानुबन्धी मृषावाद मेरु
श्वापद षड्जीवनिकाय सन्निवेश समय समुद्घात सम्यक्त्व सम्यग्दृष्टि
मोक्ष मोह
१८,२३, ३१, ४५
सर्वज्ञ
योग योगी रति रत्ना पृथिवी
राम
सर्वसंयत सर्वार्थविमान संवेग संसार संहनन साकारोपयुक्त
सात
लब्धि लव लान्तव लोक वणिक् वाग्योग वाग्योगनिग्रह वाचकमुख्य वाचना वाचिक ध्यान वाणिज्य विचार विचिकित्सा वितर्क विपाक विवेकलिंग
सामाचारी सिद्धिगति सिंहमारक सीमन्तक
स्तुतिकार स्तेयानुबन्धी स्तोक स्वसमय हास्य हिंसानुबन्धी
ह्रस्वाक्षर