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स्त्री-धन
[ तेरहवां प्रकरण
(१) विवाहके समय प्राप्त धन अर्थात् (यौतक ) इसमें निम्न लिखित दो प्रकार शामिल हैं। (क) अध्यग्निक- यह वह स्त्रीधन है जो ठीक विवाहाग्निके सन्मुख
मिले, देखोविवाहकाले यत् स्त्रीभ्यो दीयते ह्यग्निसन्निधौ तदभ्यग्नि कृतं सद्भिः स्त्रीधन परिकीर्तितम् । कात्यायनः विवाहकाले अग्नि सन्निधौयत् पित्रादिदत्तं तदध्यग्नि स्त्रीधनम् ।
मनु ६-१९४ कुल्लूकभट्टः और देखो-13 C. W. N. 994.
शादीके समय दान--शादीके समय पिता द्वारा प्रेमवश पुत्रीको दिया हुआ दान स्त्रीधन है--मु० जनका बनाम जेबू 93 I. C. 685. (ख) अध्यावाहनिक-यह वह स्त्रीधन है जो विवाहकी बारातके
समयमें स्त्रीको मिले या विवाह कृत्योंके अन्दर किसी समय मुख्य कृत्यके पहिले या पीछे लेकिन विवाहके उत्सवके अन्दर
मिले, देखोयत् पुनर्लभते नारी नीयमाता पितृगृहात् अध्यावाहनिक नाम स्त्रीधनं परिकीर्तितम् । कात्यायः
और देखो--16 W. R. C. R. 115. दहेज--जब कोई हिन्दू स्त्री दहेजकी जायदाद अपने पति और पुत्रियों को छोड़कर मरती है, तो पति उस जायदादका इन्तकाल वसीयत द्वारा नहीं कर सकता । जायदाद पुत्रियोंको मिलती है--घनश्यामदास नारायनदास बनाम सरस्वतीबाई 21 L. W. 415; ( 1925) M. W. N. 285; 87 1. C. 621; A. I. R. 1925 Mad. 861.
चढ़ायेके समयका जेवर-शादीके वक्तपर जो जेवर लड़कीके पिता को लड़कीके लिये दिया जाता है, स्त्रीधन नहीं है, और यदि शादीका मुआहिदा पूर्ण न हो तो उसकी वापिसीके लिये नालिशकी जासकती है-छेदीलाल बनाम जवाहिरलाल A. I. R. 1927 All. 160. .. जहांपर ऐसा प्रश्न उठे कि जो धन स्त्रीको अमुक रसममें दिया गया है यह रसम विधाहमें शामिलही नहीं है तो इस बातका फैसला उस जाति