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दफा ७५४-७५५]
स्त्रीधन क्या है
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मयूख-मयूख भी मिताक्षराकी भांति स्त्रीधनके भिन्न भिन्न प्रकारोंको नहीं मानता । पुरानी स्मृतियोंमें जितने प्रकारके स्त्रीधन बताये गये हैं उनके सिवाय मयखने केवल उत्तराधिकारके उद्देशसे और भी कई प्रकारके स्त्रीधन माने हैं। देखो-मनीलाल रेवादत्त बनाम रेवाबाई 17 Bom. 758-767; 8 Bom. H. C. O. C. 244-260.
प्राचीन धर्म शास्त्र-प्राचीन आचार्यों ने स्त्रीधन उस धनको माना है जो स्त्रीको विवाहके समय या विवाहके पश्चात् मिला हो। परन्तु स्त्रीधनके रूपका यह पूर्ण वर्णन नहीं हो सकता; क्यों कि वर्तमान समयमें लोगोंके आचार विचार और रसम रवाजमें बहुत परिवर्तन हो जानेसे स्त्रीको अपना पैदा किया हुआ धन प्राप्त करनेकी भी कुछ सूरतें निकल आयी हैं जैसे अपने उद्योगसे कोई काम करके या व्यापार आदिमें अपना रुपया लगाकर स्त्री कुछ धन प्राप्त कर सकती है और यह धन उसका स्त्रीधन हो सकता है। दफा ७५४ स्त्रीधनका बार सुबूत __अमुक जायदाद स्त्रीधन है या नहीं इस विषयमें बार सुबूत किसके ऊपर होगा इसका कोई खास नियम नहीं है। हां यदि कोई जायदाद जो स्त्री के कब्ज़ेमें न हो और स्त्री उसे अपना स्त्री धन बताये तो बार सुबूत अवश्य स्त्रीपर होगा देखो-रामविजय बहादुरसिंह बनाम इन्द्रपालसिंह 26 I. A. 226; 26 Cal. 871; 4 0. W. N. 1; 2 Bom. L. R. 1. नरायन बनाम कृष्णा 8 Mad. 214; 8 Cal. 545; 11 Cal. L. R. 41. और देखो मेन हिन्दूला 7 ed. P. 590.
विधवाकी जायदादका फायदा जायदादका इज़ाफ़ा समझा जाता है, जब तककि यह न साबित किया जायकि वह बतौर स्त्रीधनके काममें लाया गया है। विधवाको बानी लगानकी डिकरी मिलना इस प्रकारके स्त्रीधनका सुबूत नहीं है--पी० सुब्बम्मा वनाम एम वेंकटकृष्णा A. I. R. 1925 Mad.151. दफा ७५५ स्त्री धन कितने तरहका है
जिस जिस समय स्त्रीने धन प्राप्त किया हो उसीके अनुसार स्त्री धन के भिन्न मित्र प्रकार समझे जाते हैं । यौतक और अयोतक ऐसे दो प्रकारके स्त्री धन कहे गये हैं
(क) यौतक-वह धन है जो विवाहके समय मिला हो। (ख) अयौतक-वह धन है जो दूसरे किसी समय मिला हो-दाय
क्रम संग्रहः।
नीचे लिखी हुई रीतियोंसे स्त्रीको जोधन मिले उसीको शास्त्रों में स्त्रीधन कहा है।