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दफा ६०४ ]
afrosta aied मिलने का कर्म
( ११ ) विधवाका मुनाफेपर हक़-- जब किसी विधवाक कोई जायदाद वरासत में मिली हो तो उस जायदाद के मुनाफेपर विधवाका पूरा अधिकार होता है । विधवा के मरने पर वरासत से मिली हुई जायदाद उस पुरुष के वारिसको चली जायगी जिससे कि उसने पायी है, मगर यदि विधवाने उस जायदाद के मुनाकेसे कोई दूसरी मनकूला या गैर मनकूला जायदाद खरीदकी हो या नक़द छोड़ाहो जिसपर कि उसका पूरा अधिकार माना गया है वह जायदाद और नक़द सब विधवाके उत्तराधिकारीको मिलेगा ।
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उदाहरण - रामदेवी विधवाको एक जायदाद पतिसे गैर मनकूला बरासत में मिली, विधवाने उस जायदाद के मुनाफेसे दो मकान और एक गांव खरीद किया तथा उसके पास पांच हजार रु० नक़द भी जमा हो गया । विधवाने इस अपनी जायदादको किसी दूसरे आदमीको पुण्य कर दिया और पीछे मर गयी और उसने एक लड़की छोड़ी । अब पतिसे पाई हुई जायदाद तो उस लड़की को मिली मगर दोनों मकान व एक गांव और नक़द सब विधवा के दिखें हुये दानाधिकारीको मिलेगा -- अगर उस विधवाने अपनी जिन्दगी में कुछ भी न किया हो तो सब लड़कीको मिलेगा ।
( १२ ) विधवा कब जायदादका इन्तक़ाल कर सकती है--जब किसी विधवाको या विधवाओंको उत्तराधिकारमें पतिकी जायदाद उनकी जिन्दगी भरके लिये मिली हो तो वह ऊपर कहे हुए क़ायदोंकी पाबन्दीके साथ क़ानूनी ज़रूरतोंके लिये जो इस किताबकी दफा ६०२, ७०६ में बताई गयी हैं जायदाद - का इन्तक़ाल कर सकती हैं।
क्रिया कर्म का खर्च - एक विधवा, जो किसी मुश्तरका खान्दानकी मेम्बर श्री और जिसके पास अपने पति द्वारा उपार्जित कोई जायदाद न थी, मर गई । उसके जीवन कालमें उसका पालन उसके पतिके एक भतीजे और एक भतीजेके पुत्रने समान रीतिपर किया था। उसकी मृत्युके पश्चात् यह प्रश्न उठा कि उसकी अन्त्येष्टि क्रिया का खर्च कौन उठाये । तय हुआ कि भतीजा और दूसरे भतीजे का पुत्र बराबर बराबर खर्च बरदास्त करें। इस बहस में कोई जान नहीं है कि वही व्यक्ति, जिसने क्रियाकी हो उस व्ययको बरदास्त करे । शिव ऐथला बनाम रङ्गगप्पा पेथला 49 MI J719.
ज़मीनका पट्टा - अब विधवा द्वारा किये हुये ज़मीनके पट्टेके लगानकी वसूलयाबी के समय बिधवा मर गई, तो उसके व्यक्तिगत वारिस उसके वसूल करने के अधिकारी होंगे, न कि भावी वारिस - मारुती बनाम उकर्द 22 N. L. R. 13; 99 I. C. 741; A. I. R. 1926 Nag. 314.
वह हिन्दू विधवा, जो अन्तिम पुरुष अधिकारीकी जायदाद के प्रबन्ध की सरकारी सनद प्राप्त करती है उसी हैसियतपर है जिसपर कि कोई अन्य प्रबन्धकर्ता और अदालतकी मन्जूरी के साथ उसके द्वारा किये हुये इन्तकाल