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- उत्तराधिकार
[नवां प्रकरण
के खिलाफ, कोई भी ऐसा एतराज़ जो किसी अन्य प्रकारके प्रबन्धकर्ताके खिलाफ नहीं हो सकता, नहीं किया जा सकता। परिणाम स्वरूप उसपर कानूनी आवश्यकताकी बिनापर आक्रमण नहीं हो सकता-राखलचन्द्रवर्धन पनाम प्रसादचन्द्र चटरजी 90 I. C. 229. दफा ६०५ लडकीकी वरासत
(१) कब हक होता है-लड़के, पोते, परपोते, और विधवाके न होने पर लड़कीको उत्तराधिकार मिलता है। "पत्नी दुहितरश्चैव पितरौ भ्रातरस्तथा" याज्ञवल्क्य २-१३५
तस्मादपुत्रस्य (पुत्र, पौत्र, प्रपौत्ररहितस्य ) स्वर्यातस्य विभक्तस्यासंसृष्टिना परिणीता स्त्री संयता सकलमेव धनं गृह्णातीति स्थितम् । तद्भावे 'दुहितरः' । मिताक्षरा . वृहस्पति-भर्तुर्धनहरी पत्नी तां बिना दुहिता स्मृता। अङ्गादङ्गात्संभवति पुत्रवद दुहितानृणाम्-अपुत्रधनं पल्याभिगामि, तद्भावे दुहितगामि १७-५. नारद-यथैवात्मा तथा पुत्रः पुत्रेण दुहितासमा तस्यामात्मनि जीवन्त्या कथमन्योहरेद्धनम् १३-४६.
भावार्थ-याज्ञवल्क्य, मिताक्षरा, बृहस्पति, बृहद्विष्णु और नारदके बचनोंसे लड़कीका हक़ बापकी जायदादमें है। मगर जब मृत पुरुषके, पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, और विधवा मर चुकी हो।
विधवाके पश्चात् लड़कीका हक्क बापकी जायदाद पानेमें माना गया है, यही बात कानूनमें भी मानी गयी है कि अपुत्र पुरुषकी जायदाद विधवाके मरनेपर लड़कीको मिलेगी।
(२) जब तक सब विधवायें न मर जायें-कोई लड़का, पोता, परपोता जीवित रहेगा तो विधवाको जायदाद नहीं मिलेगी और जब तक विधवा जिन्दा रहेगी तब तक लड़कीको नहीं मिलेगी। अगर कोई आदमी अनेक विधवायें छोड़कर मरा हो तो जब तक वह सब विधवायें मर न जायेगी तब तक लड़कीको या लड़कियोंको कुछ भी नहीं मिलेगा। यानी सब विधवाओं