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दफा ५०४]
बटवारेके साधारण नियम
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बम्बईको छोड़कर अन्यत्र ऐसा कायदा है कि अगर किसी कोपार्सनरी जायदादके हिस्सेदारोंने आपसमें बटवारा न करनेका इकरार किया हो तो इस इकरारसे सिर्फ वही हिस्सेदार पाबन्द किये जायेंगे जिन्होंने ऐसा किया है, देखो-श्री मोहन ठाकुर बनाम मेकरीगोर 28 Cal. 769; 3 C. W. N. 1263 राजेन्द्रदत्त बनाम श्यामचन्द्र मित्र 6 Cal. 106; 12C.W.N.7937 28 Cal. 769; सुवरैय्याटउकर बनाम राजाराम टउकर 25 Mad. 585 मगर उनके उत्तराधिकारी ऐसे इकरारके पाबन्द नहीं होंगे और न के लोग होंगे जिन्हें वे जायदाद दे गये हों (वसीयत या दानके द्वारा) देखो-अनाथनाथ देव बनाम मकिनतोश 8 B. L_R. 60; आनन्द चन्द्रघोष बनाम प्राणकिस्टो दत्त 3 B. L R.O.C. 14; 11 W. R. O.C. 19; 36 Bom. 53; 13 Bom.L.R. 963.
'बम्बई में माना गया है कि अगर ऐसा इक़रार कर भी लिया गया हो तो वह पाबन्द नहीं करता, देखो-रामलिङ्ग बनाम विरूपाक्षी 7 Bom. b38.
___ वसीयतनामे में शर्त-अगर कोई, अपने घसीयतनामेमें यह शर्त रखे कि मेरे मरने के बाद जायदादका बटवारा न हो तो इस शर्तका कुछभी असर न होगा। क्योंकि दानके साथ ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जासकती, देखोमकुन्दलाल शाहू बनाम गनेशचन्द्रशाह 1 Cal.104; राय किशोरीदास बनाम देवेन्द्रनाथ सरकार 15 I. A. 37; 15 Cal. 409; और देखो Act. No. 10 of 1865 S. S. 125.
इसी तरह जायदादका मालिक अपनी ज़िन्दगीमें अपने वारिसोंसे यह मुआहिदा नहीं करसकता कि मेरे मरनेके बाद जायदादका बटवारा न हो या वटवारा न किया जाय, देखो-राजेन्द्रदत्त बनाम श्यामचन्द्र मित्र ( 1880) 6Cal. 106.
किसी रवाजके अनुसार या सरकारसे मिले हुए दानको किसी शर्तके अनुसार जायदाद ऐसी हो सकती है कि जिसका बटवारा नहीं हो सकता, देखो-विनायक बनाम गोपाल 30 I. A. 77; 27 Bom. 353; 7 C. W. N. 40955 Bom. L. R. 408. और देखो दफा ३० से ३५ रवाज तथा दफा ५२६.
बटवारेसे अदालत इनकार नहीं करेगी-नाबालिगके मामलेको छोड़ कर और किसी मामलेमें अदालतको यह अधिकार नहीं है कि बटवारेकी आक्षा देनेसे इनकार करे, देखो-सैलाम बनाम चिन्नामल 24 Mad. 441. लाड़े बनाम सदाशिव 6 Bom. L. R. 35 हर एक कोपार्सनरको अधिकार है कि मुश्तरका खान्दानसे अलग हो जाय लेकिन वह मुश्तरका खान्दानके दूसरे लोगोंको उनकी मर्जीके खिलाफ बटवारा करा लेनेको मजबूर नहीं कर सकता, देखो-मञ्जनाथ बनाम नारायन b Mad. 362.