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________________ दफा ४८८-४६०) पुत्र और पौत्रकी जिम्मेदारी गया कि नीलामसे लड़कोंका हक़ भी चला जाता है 15 I. A. 99; 15 Cal. 7173 16 I. A. 1; 12 Mad. 142; 171. A. 11:17 Cal.584; 17Bam. 718; 29 Mad. 484; 11 Mad. 64; 11 Bom. 42, 6 Bom. 530, देखो दफा ४८४-२. पिताका क़र्ज-पिताके खिलाफ डिकरीकी तामीलमें पुत्रका हिस्सा नीलाम किया जा सकता है--नारायण गनेश बनाम सगुनाबाई गङ्गाधर 49 Bom. 113; 85 I. C. 181; A. I. R. 1925 Bom. 198. पिता द्वारा हिबा या दानकी पुत्रपर पाबन्दी--अवस्था--दान स्त्री या माताको--दान, पुत्रीको--अन्तर-मोव्वा सुब्बाराव बनाम मोव्वा भादम्मा 83 I. C. 72; A. I. R. 1925 Mad. 68. नोट-डिकरीदारका यह कर्तव्यहै कि कुकी और नीलामके हुक्ममें या नीलामके सर्टीफिकट (किचाला) में यह देखले कि उसमें जायदाद सम्बन्धी मद्यून का हक साफ साफ लिखा है या नहीं। दफा ४८९ बार सुबूत बार सुबूतके विषयमें मतमेद है, प्रश्न यह है कि जायवादके नीलामसे जायदाद परसे बेटोंका भी हक्र चला जाना माना जावे या केवल बापका हक चला जाना माना जावे-14 All. 191; 14 All. 179, 12 All. 99; 15 Bom. 87. मनोहर बनाम बलवन्त (1901) 3 Bom. L.R. 97. माना गया है कि इस विषयमें बार सुबूत उस पक्षकारपरहै जो नीलामका समर्थन करता हो, देखो-हज़ाहिरा बनाम माईजी मदन ईसबजी Bom. P.J. 1875P.97. दफा ४९० ख़रीदारका कर्तव्य नीलामके खरीदारका केवल यह कर्तव्य है कि वह यह देखे कि डिकरी बापपर हुई है और जो जायदाद नीलाम की जाती है वह उस डिकरीके अनुसार नीलाम होना चाहिये, जब खरीदार इतना करले और डीक मूल्य देकर नेकनीयतीसे खरीद ले तो पुत्रोंका यह अधिकार नहीं है कि पीछेसे उसमें हस्तक्षेप कर सके और जायदादको खरीदारसे वापिस ले सके, देखो--1 I. A. 321; 14 B.L. R. 187:22W . R.C. R. 56: 6 All. 234. I I . A. 99; 15 Cal. 317; 4 Mad. 96, 2 Cal. 213; 25 W. R. C. R. 421; 23 W. R. C. R. 260; 1 S. W. R. C. R. 55. ___नानोमी षबुभासिन बनाम मदनमोहन (1885) 13 I. A. 1-18; 13 Cal. 21-36; 15 I. A. 99; 15 Cal. 370. इन मुक़द्दमोंमें कहा गया कि अगर बापका कर्जा ऐसा था कि जिससे नीलाम जायज़ हो सकता था तो ऐसी सूरतमें बाप उस जायदादको चाहे स्वयं बेच देता या महाजन दावा 74
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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