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पैतृक ऋण अर्थात् मौरूसी कर्जा
(सातवां प्रकरण
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करके नीलाम करवाता । ऐसे मामलेमें पुत्र यदि कुछ आपत्ति करें तो वे यही कह सकते हैं कि नीलाम या इजराकी काररवाई में वे फरीक नहीं थे इसलिये उन्हें अपने मुकद्दमे में बापके उस कर्जेके जायज़ या नाजायज़ होनेका प्रश्न उठानेकी इजाज़त दी जाय, यदि उन्हें ऐसा हक मिले तो भी वे जब तक यह न साबित करदें कि कर्जा ऐसा नहीं था जिससे नीलाम जायज़ समझा जाय तब तक उन्हें कुछ लाभ नहीं होगा । जिस लिखतके अनुसार जायदाद खरीसारके कब्जे में गयी हो उससे अगर यह ठीक न मालम होता हो कि सारी जायदादसे उस लिखतका सम्बन्ध है या केवल बापकी कोपार्सनरी जायदाद के हिस्सेसे तो ऐसे मामलेमें बेटोंका फ़रीक न बनाया जाना अवश्य ध्यान देने योग्य होगा लेकिन जब खरीदारने सारी जायदादका खूब भाव ताव करके
और ठीक दाम देकर नेकनीयतीसे जायदाद खरीद की हो तो खरीदार उसी बिनापर अपने हक्रकी रक्षा कर सकता है जिस बिनापर वह नीलाम जिसके इजराका विरोध पुत्रोंने किया हो जायज़ समझा जाता। दफा ४९१ पुत्रोंपर डिकरी
यापकी जिन्दगीमें जब पुत्रोंको फरीक बनाकर उनपर डिकरी हो जाय तो उससे कोपार्सनरी जायदाद पाबन्द हो जाती है मगर शर्त यह है कि पुत्रों पर डिकरी तभी होगी जबकि बापने वह क़र्जा किसी बेक़ानूनी और बुरे कामों के लिये न लिया हो देखो-22 Mad. 49; 8 Cal. 517; 10 C. W.R.489.
__ मतलब यह है कि जब बापके कर्जेकी नालिशमें पुत्र भी फरीक बना दिये गये हों और उनके मुकाबिलेमें डिकरी हो जाय तो उस समय कुल मुश्तरका जायदाद पाबन्द हो जाती है फिर बेटोंकों कोई मौक़ा उजुर करनेका बाकी नहीं रहता। जहांपर कोपार्सनरी जायदाद डिकरीसे पाबन्द न हो वहां पर बाप अपनी ज़ात वाससे उस क़र्जेके चुकानेका पाबन्द माना गया है। दफा ४९२ पुत्रोंपर बापके क़र्जेकी साधारण ज़िम्मेदारी
(१) बाप और दादाके कर्जे जिनका बोझ जायदादपर न पड़ाहो पुत्र और पौत्रको आवश्यक है कि वे कर्जे वह मुश्तरका जायदादसे चुका दें जिसमें कि उनका हिस्सा भी शामिल है और जिस जायदादमें बाप और दादा हिस्सा रखते थे मगर शर्त यह है कि वे कर्जे बेक्कानूनी या बुरे कामोंके लिये न लिये गये हों देखो-1 I. A. 3213 14 B. L. R. 187; 22 W. R. C. R. 56%; b Cal. 855; 6 C. L. R. 473; 27 Mad. 243; 11 Bom. H. 0.76317 Mad. 268; 4 Mad. 1; 9 Cal. 389; 12 C. L. R. 494; 5 Mad. 615.6 Mad. 293, 9 I. A. 128; 6 Mad. 1; 29 Mad. 484.
(२) हर्जानेका दावा-गोपाल भट्ट अपने नाबालिगभतीजे गणेश और चिन्तामणिके साथ मुश्तरका रहता था उसने एक वसीयतके द्वारा मुश्तरका