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मुश्तरका जायदाद का इन्तक़ाल
एक रेहननामेकी नालिशमें अदालत ने केवल पिताके खिलाफ रक़मकी डिकरी इसलिये दी कि क़र्ज गैर तहजीबी साबित हुआ । डिकीदार ने तामील डिकरीमें कुल पैतृक जायदाद मय उस जायदाद के जो रेहननाने में थी कुर्क कराई | खान्दानके दूसरे सदस्योंने एतराज किया और दलील पेश की कि क़र्ज ग़ैर तहज़ीबी होनेके कारण, उसकी पाबन्दी पैतृक जायदाद पर नहीं है। तय हुआ कि खान्दानके दूसरे मेम्बरोंका यह हक़ है कि वे बची हुई पैतृक जायदादपर अपने अधिकारको प्राप्त करें, किन्तु उन्हें यह अधिकार नहीं है कि वे उस जायदादपर पिताकी जायदादको कुर्क होने से रोकें, जिसके खिलाफ डिकरी है - शिवनाथप्रसाद बनाम तुलसी 23 AL. J 865; 89 I. C. 480; L. R. 6 A. 523; A. I. R. 1925 All. 801.
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मुश्तरका खान्दान --पिता द्वारा इन्तकाल - रतन बनाम शिवलाल 4. I. R. 1925 Oudh 35.
मुश्तरका खान्दान -- पिता द्वारा इन्तकाल -- जब किसी मुश्तरका हिन्दू खान्दानके पिता द्वारा इन्तक़ाल किया गया हो, और रक़म मावजाका अधिक भाग पुराना कर्ज चुकाने या क़ानूनी आवश्यकताकी बिनापर हो, तो वह इन्तक़ाल जायज़ और पुत्रोंपर लाजिम होता है। यदि मावजेका वह भाग जो कानूनी आवश्यकतामें नहीं आता, अधिक होता है, तो अदालत उसपर अलाहिदा गैर करती है और उनके जायज़ होने या न होनेके सम्बन्धमें फैसला करती है--गौरीशङ्कर बनाम बद्रीनाथ 88 I. C. 474; A. 1. R. 1925 Oudh. 685.
जब किसी पिता द्वारा किये हुये इन्तक़ालका विरोध पुत्र द्वारा किया जाय, जिसमें कि मावजेके किसी हिस्सेकी पाबन्दी न हो, तो अदालतको उस रक्रमपर ध्यान देना चाहिये, जिसके सम्बन्धमें क़ानूनी आवश्यकता न हो । यदि वह रक्कम इतनी कम है कि वह हिसावमें छोड़ दी जा सकती है तो नीलाम बहाल रहना चाहिये नहीं तो मंसूख किया जाना चाहिये। दूसरी जांच इस प्रकार है कि यह देखा जाय कि आया वह रक़म जो आवश्यक थी सिवाय उस इन्तक़ालके जिसका विरोध किया गया है और किसी प्रकार प्राप्त की जा सकती थी - चन्द्रिकासिंह बनाम भागवतसिंह 83 1. C. 54; A. I. R. 1924 All. 170 पिता द्वारा लिया हुआ पहिलेका क़र्ज, यदि वह गैरकानूनी या गैर तहज़ीबी न हो, पुत्रपर लाज़िमी है और उसकी बिनापर किया हुआ इन्तक़ाल जायज़ है । उस सूरत में भी, जबकि बयनामेमें वर्णित किसी खास क़र्जके अदा करने की रकम, किसी दूसरे पहिलेके क़र्जके अदा करनेमें सर्फ कीगई हो, तो भी उसकी पाबन्दी पुत्रपर होगी । यह सूरत उस सूरतसे भिन्न है जबकि दस्तावेज़ में बेईमानी और धोखेबाज़ीसे, उस व्यक्तिको जो विरोध करनेका