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मुश्तरका खान्दान
[ छठवां प्रकरण
हो, आवश्यक व्यक्ति फ़रीक़ हों । इस प्रकारकी नालिशमें अदालतको चाहिये कि इन्तक़ालपर अमल करनेके लिये उस जायदाद के हिस्सेदारोंके अनुसार हिस्से नियत कर दे और उस व्यक्तिको, जिसके हक़में इन्तक़ाल किया गया है, जितना हिस्सा इस प्रकार श्राये दे दे, नारायन बनाम धुवा बाई 21 Nag. L. R. 38; A. I R. 1925 Nay. 299.
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फरीकों का मिलाया जाना एक रेहननामेपर एक हिन्दू पिताके विरुद्ध नालिश - मियादकी बात उनका फ़रीक बनाया जाना - मु० राजवन्ता बनाम रामेश्वर 28 O. C. 393; A. I. R. 1925 Oudh. 440.
दफा ४३९ मेनेजरपर डिकरी
( १ ) सारे मुश्तरका खान्दानकी तरफसे काम करने वाले मेनेजर पर अगर किसी क़र्जेकी डिकरी हुई हो और वह क़र्ज़ उस मेनेजरने खान्दान या खान्दानके कारोबारके लिये लिया हो तो सारी मुश्तरका जायदाद पर डिकरी जारीकी जासकेगी । चाहे मुश्तरका खान्दानके अन्य आदमी उस मुक़द्दमेमें मुद्दा अलेह न भी बनाये गये हों; देखों-दौलतराम बनाम मेहरचन्द 15 Cai. 70, 14 I. A. 187; शिवप्रसाद बनाम राजकुमार 20 Cal. 453; वल्देव बनाम मुबारक 29 Cal. 583; कुञ्जन बनाम सिधा 22 Mad 461; हरी बनाम जै राम 14 Bom. 597; भाना बनाम चिंडू 21 Bom. 616; काशीनाथ नाम चिमनाजी 30 Bom. 477; सखाराम बनाम देवजी 23 Bom. 372; शिवशङ्कर बनाम जाडोकुंवर 411. A. 216; 36 All 383; 33 All. 71.
( २ ) परन्तु अगर अकेले मेनेजरकी जातिपर डिकरी हुई हो और वह क़र्ज़ चाहे मेनेजरने खान्दानके लिये या खान्दानके कारवारके लिये लिया हो तो भी वह डिकरी सारी मुश्तरका जायदादपर जारी नहीं हो सकेगी सिर्फ मेनेजरके हिस्से जायदादपर जारी होगी; देखो - गुरुबप्पा वनाम भिम्मा
10 Mad. 316.
उदादरण - महेश, शिव और गणेश एक हिन्दू मुश्करका खान्दानके मेम्बर है । इनमें महेश और शिव दोनों मेनेजर हैं, इन दोनोंने खान्दान की ज़रूरतों के लिये वरुणसे ५०००) रु० क़र्ज़ लिया । वरुणने महेश और शिव दोनों मेनेजरों पर दावा किया और अदालत से उनके ऊपर मैनेजर की हैसियतसे डिकरी प्राप्तकी तो यद्यपि गणेश उस मुक़द्दमे में मुद्दालेह नहीं बनाया गया था तथा वह नाबालिग भी था तोभी वह डिकरी सारी मुश्तरका खान्दानकी जायदादपर जारीकी जासकेगी । इसी तरहका एक केस देखोबल्देव बनाम मुवारक 29 Cal. 583; दौलतराम बनाम मेहरचन्द 15 Cal. 70; 14 I. A. 187.