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दैफा ४३७-४३८)
अलहदा जायदाद
तो ऐसी सूरतमें मेनेजर कंट्राक्टोंके विषयमें अकेले अपने नामसे अदालतमें दावा दायर कर सकता है । परन्तु इसमें भी दो या दो से ज्यादा मेनेजर अगर हों और कंट्रीक्ट सबने मिलकर किया हो तो वह सब मुद्दई बनाये जायेंगे नहीं तो कानून मियादकी २२ वी दफा लागू पड़ेगी देखो--रामसेवक बनाम रामलाल 6 Crl. 817.
मुर्तहनको मुद्दई बनानेपर-जब किसी मुर्त हिनकी नालिशमें, जो उसने गहिनके खिलाफ दायरकी थी, मुर्तहिनोंमें से किसी एकका नाबालिग पुत्र मुद्दाअलेह न बनाया गया; जिसपर यह विरोध उठाया गया कि नालिश ब वजह गैर शामिली फ़रीक़ के नाजायज़ है । तय हुआ कि मुद्दईको असली दस्तावेज़ लिखने वालोंके खिलाफ डिकरीपानेका अधिकार है । राहिनके सम्बन्धमें यह नहीं कहा जा सकता कि वे नाबालिगके अधिकारके प्रतिनिधि थे।
यह भी तय हुआ कि नाबालिगके लिये अवसर है कि वह इन्तकालसे बचे, उन अधिकारों के द्वारा जो हिन्दूला के अनुसार नाबालिगोंको प्राप्त है। नाथू बनाम रामस्वरूप 23 A. L.J. 246 47 All. 427; 87 1. C. 700%; A. I. R. 1925 All. 385.
नोट-कानून मियादके डरसे ध्यान रखना कि जब कोई नालिश मुश्तरका खानदानकी तरफ से दायर करना हो तो सब फरीक खानदान वालोंको मुद्दई बना लेना और जो इनकार करे उसे पुद्दा. अलेह बनाना
दफा ४३८ सब कोपार्सनरोंका मुहालेह बनाया जाना
जब किसी आदमीको मुश्तरका खान्दानके किसी आदमी (कोपार्सनर) पर दीवानी अदालतमें कर्जे या दूसरी किस्मका दावा करना हो. जिस मामले का बोझ मुश्तरका खान्दानपर हो तो मुद्दईको चाहिये कि उस खान्दानके सब (आदमियोंको मुदाअलेद बनाये अगर किसी एकको बनायेगा तो अकेले उसी एकपर डिकरी होगी, और उस डिकरीको मुद्दई सारी मुश्तरका जायदाद पर जारी नहीं करा सकेगा, जिस एक आदमीके ऊपर डिकरी होगी उसीके हिस्से पर जारी करा सकता है । अगर मुश्तरका खान्दानमें कोई नाबालिरा हों तो उन्हें भी मुद्दाअलेह बनाना चाहिये क्योंकि मिताक्षरालॉके अनुसार कोपार्सनर अपनी पैदाइशसे पैतृक जायदादमें हिस्सेदार हो जाते हैं। जब नाबालिग. मुहाअलेह बनाया जाय या बनाये जायें तो उनका बली करार दिया जायगा, देखो इस किताबका प्रकरण ५.
अनिश्चित हिस्सेके खरीदारको क्या करना चाहिये-किसी मुश्तरका खान्दानकी जायदादके किसी अनिश्चित भागके खरीदने वालेको, एक इस प्रकारकी नालिश दायर करनी चाहिये, जिसमें पूरी मुश्तरका जायदाद शामिल