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मावालिगी और बलायत
[पांचवां प्रकरण
मुहम्मद बनाम बृज नारायण 23 A.L.J. 736; L.R.6 A. 377 (Civ) 88 I. C. 144; A. I. R. 1925 A11. 785. ___-गा० दफा ४७-और ४८-जब डिस्ट्रिक्ट जजके हुक्मके विरुद्ध अपील नहीं होती तो वही हुक्म अन्तिम हुक्म समझा जाता है और उसपर नालिश या और किसी तरहपर एतराज़ नहीं किया जासकता । तरिनी कुंवरदत्त बनाम शीश चन्द्र दास 85 I C. 667; A. I. R. 1925 Cal.1160.
-गा० दफा ४८--डिस्ट्रिक्ट जजका शादीके खर्चके नियत करनेवाला हुक्म--श्राया निगरानीहो सकती है-देखो गार्जियन एण्ड वार्ड्स एक्ट दफा ३१ (३) (डी)--92 I. C. 482; A. I. R. 1926 All. 301. .. -गा० दफा ४८--एक्टके अनुसार जितने हुक्म होते हैं वे सब अन्तिम हुक्म माने जाते हैं यदि उनके विरुद्ध इस एक्टकी दफा ४७ के अनुसार अपील न की गई या जाबता दीवानीके अनुसार निगरानी न की गई । सूरज नारायण सिंह बनाम विशम्भर नाथ भान A. I. R. 1925 Oudh. 260.