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हॉलकी नज़ीरें]
गार्जियन एण्ड वाइस
__ --गा० दफा ४१--नाबालिग की मृत्यु-उत्तराधिकार में विरोध-आया अदालत वलीको आज्ञा दे सकतीहै कि वह एक दावेदार को जायदाद सोपदे तुलसीदास गोबिंद जी बनाम माधवदास लालजी (1926) M. W. N. 68. 92 I C. 570; A. I. R. 1926 Mad. 148.
--गा० दफा ४१--नाबालिग की मृत्युसे पलायत की समाप्ति-मृत्यु पर अदालतका कर्तव्य है कि उसकी जायदाद की हवालगी का हुकम दे । हीले हवालेकी सूरतमें जुर्माने का हुकम उचित है। फतेहचन्द बनाम पारवतीबाई 92 I. C. 196; A. I. R. 1925 Sind 269.
-गा० दफा ४१(३)--किसी वलीके पृथक किये जानेके सम्बन्ध अर्जी प्राप्त होनेपर, अदालतको दफा ४१ (३) के आधीन अधिकार है कि वह अदालतमें पेश किये हुए हिसाबकी जांचका हुक्म दे । रामराव बनाम रंगा स्वामीराव 92. I. C. 98; A. 1. R. 1926 Mad. 419.
-मा० दफा ४१ -यदि वह नाबालिग, जिसके लिये श्रदालत द्वारा वली नियत किया गया है मर जाय और इस बातका झगड़ा होकि कौन वारिस है, तो अदालत उस अवस्थामें वलीको यह हुक्म नहीं देसकती कि झगड़ा करने पाले वारिसों में किसीको भी जायदादपर कब्ज़ादे या उन्हें हिसाब दे। तुलसी दास गोबिन्द जी बनाम माधवदास लाल जी 22. L. W. 642,
-गा० दफा ४१ - नाबालिसके मर जानेपर वलायत समाप्त हो जाती है। नाबालिगके मर जानेपर अदालत वलीको जायदाद उस शख्सको हवाला करने के लिये इजाज़त देगी जोकि वारिस होनेकी सनद प्राप्त करे । मालगुज़ारीक श्रदान करनेकी सरतमें ही अदालत वलीपर जुर्मानाकर सकती है। फतेह चन्द्र बनाम पार्वती बाई 183. L. R. 85; A. I. P. 1925 Sind. 269.
-गा० दका ४५ जुर्माना -दफा ४१ (३) के आधीन हुक्मका उल्लङ्घन -जांच -मु० अब्बासी बेगम बनाम मु० याकृती बेगम 93 I. C. 628; 7 Pat. L.J. 473.
-गा० दफा ४५--अदालत दफा ४५. के अनुसार वलीपर तबतक जुर्माना नहीं कर सकती, जबतककि वह इस बातकी जांच न करेकि कितना रुपया घलीको देना है और वलीको इस बातका अवसर न दे कि वह सबूत हेकि उसे कुछ भी देना शेष नहीं है । मु० अम्बासी बेगम बनाम मु० याकृती बेगम 4 Bah. 264; A. I. R. 192b Patra. 477. __--गा दफा ४५--वलीको किसी जायदानके कब्जेको किसी नये क्लीके हवाले करनेका हुक्म देना- अाशा न मानने पर जुर्माना- जुर्माने के खिलाफ अपील- हाईकोर्ट मामलेकी सुनवाई कर सकती है--नाबालिसके अधिकार (Title) पर बिना विचार किये हुएही डिलेवरीका हुक्म देना। प्रकीर
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