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________________ नाबालिग्री और वलायत [पांचवां प्रकरण (जे) अदालतोंको इस एक्ट के अनुसार कार्य करनेमें किन किन बातोंका ध्यान अधिकतर रखना चाहिये। (२) इस दफा की पहिली उपदफा अर्थात् दफा ५० (१) में दिये हुए क्लाज़ (ए) व (बी) में बनाये हुए नियमोंका प्रयोग उस वक्ततक न होगा जबतककि प्रान्तिक सरकार स्वीकृति न दे देवे तथा जबतककि पहिली उपदफा के अनुसार बनाये हुए उपनियम सरकारी गज़टमें प्रकाशित न किये जा चुके। -दफा ५१ अदालत द्वारा पहिलेहीसे नियुक्त किये हुए वलियोंके लिये इस एक्टका प्रयोग यदि कोई व्यक्ति किसी दीवानी अदालत द्वारा उन कानूनोंके अनुसार जो इस एक्टके ज़रिये रदकर दिये गये हैं वली या प्रबन्धक नियुक्त किया गया हो तो वह व्यक्ति इस एक्टमें दिये हुए नियमोंका पाबन्द उसी प्रकार होगा जैसे कि वह इस एक्टके दूसरे प्रकरणके अनुसार वली नियुक्त या घोषित किया गया हो। -दफा ५२ इण्डियन मैजरिटी एक्टका संशोधन सन् १८७५ ई. के इण्डियन मैजारिटी एक्टकी दफा ३ में इन शब्दोंके बजायः "हरएक नाबालिग जिसकी ज़ात या जायदादका कोई वली अदालत द्वारा नियुक्त किया गया है या किया जावेगा और हरएक नाबालिग्न जो कोर्ट आफ वाड्सकी देखरेखमें हो" नीचे दिये हुए शब्द माने जावेंगेः "हरएक नाबालिग जिसकी ज़ात या जायदाद या दोनोंका वली उसके १८ सालकी उम्र पूरी करनेसे पहिले अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किया जाचुका है या किया जावेगा या वह नाबालिग जिसकी जायदादका प्रबन्ध उसी उम्रतक कोर्ट श्राफ वार्ड्समें आगया हो परन्तु इनमें वह नाबालिग शामिल नहीं हैं जिनका वली दौरान मुकद्दमेंके लिये अदालत दीवानी द्वारा जाबता दीवानीके ३१ वे प्रकरणके अनुसार किया गया हो"
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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