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पादफा ४६-५०]
गार्जियम एण्ड वार्ड्स
हुए अदालतके और जो हुक्म इस एक्टके अनुसार दिये जागे वह अन्तिम हुक्म होंगे तथा उन हुक्मोंका फैसला मुक्तहमों द्वारा या और किसी तरहपर न हो सकेगा। -दफा ४९ खर्चा
__इस एक्टके अनुसार की हुई कार्रवाइयोंका खर्च तथा वली या किसी दूसरे व्यक्तिको दीवानी जेल में रखनेका खर्च उस अदालतकी इच्छाके अनुसार होगा जिसके सामने कार्रवाईहो रही हो । परन्तु इस सम्बन्धमें इस एक्ट के लिये बनाये हुए हाईकोर्टके नियमोंका ध्यान रक्खा जावेगा। -दफा ५० नियमोंको बनानेके लिये हाईकोर्ट के अधिकार
(१) हाईकोर्टको अधिकार है कि वह उन नियमोंके अतिरिक्त जिनके बतानेका अधिकार उसको इस एक्टके लिये प्राप्त है और भी नीचे दिये हुए नियम समय समय पर इस एक्टके अनुसार बना सकता है:(ए) यहकि कलक्टर या दूसरी मातहत अदालतसे किन किन बातों
की व कब कब रिपोर्ट आना चाहिये। (बी) वलीको क्या शुल्क (खर्च) मिलना चाहिये या उससे कैसी
ज़मानत लीजामा चाहिये अथवा कैसे अवसरोंपर उसे शुल्क
(खर्च) मिलना चाहिये। (सी) दफा २८ व २६ में दिये हुए कार्योंकी आज्ञा देते समय किन
किन नियमोंका पालन करना चाहिये। (डी) दफा ३४ (ए), (बी), (सी), व (डी) में दी हुई आज्ञायें
किन अवसरोंपर देना चाहिये ( ई ) क्लीसे दाखिल कराये हुए बयान व हिसाब किस प्रकार
सुरक्षित रखना चाहिये । (एफ) सम्बन्धियों द्वारा उन हिसाबों व बयानोंकी जांच किस
प्रकार होना चाहिये। (जी) नाबालिराका रुपया तथा उसकी ज़मानते किस प्रकार रखना
चाहिये . (एच) कैसी ज़मानतोंमें नाबालिगका रुपया लगाया जाना चाहिये (आई) ऐसे नाबालिराकी शिक्षाका प्रबन्ध किस प्रकार होना चाहिये
जिसका वली कलक्टरके अलावा और कोई व्यक्ति अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किया गया है। 52