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नाबालिग्री और वलायत
[ पांचवां प्रकरण
( २ ) इस दफा की पहिली उप दफा अर्थात् २६ ( १ ) में दी हुई श्राशा का अभिप्राय उस अदालतकी साधारण या विशेष आज्ञासे होगा और यह बात उस आशामें लिख दी जावेगी ।
नाबालिग की जायदाद के वली
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- दफा २७ जायदादके वलीके कर्तव्य
नाबालिग़की जायदादके वलीको नाबालिग़की जायदादकी देखरेख उस योग्यताके साथ करना चाहिये जिस योग्यताके साथ एक साधारण योग्यता का व्यक्ति अपनी निजी जायदादकी देखरेखकर सकता है और इस प्रकरणके नियमों का ध्यान रखते हुए वह वली उन सब बातोंको भी करसकता है जो ठीक हों और जो नाबालिएकी जायदादको लेने बचाने या लाभ पहुँचाने के लिये उचित हों ।
- दफा २८ दस्तावेज़ी वलीके अधिकार
अगर कोई वली वसीयतनामा या किसी दूसरी दस्तावेज़ द्वारा नियुक्त किया गया हो तो उसके अधिकार नाबालिग की गैरमनकूला ( स्थाई सम्पत्ति ) को रेहन करने, बयकरने हिबाकरने या बदलने या और किसी प्रकारसे अलहदा करने में उननेही होंगे जितने उसे वसीयतनामा या दस्तावेज़ में दिये गये हैं । परन्तु यदि वह वली इस एक्ट द्वारा भी घोषितकर दिया गया है और घोषित करने वाली अदालतने उसको गैरमनकूला जायदादके लिये वह अधिकार भी दे दिये हैं जो वसीयतनामा या दस्तावेज़में नहीं हैं तो वली ऐसे तहरीरी हुक्म द्वारा नाबालिग की गैरमनकूला जायदादको भी अलहदा करने का अधिकारी होगा ।
-- दफा २६ अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किये हुए जायदाद के बली के अधिकार
कलक्टर या उस वलीको छोड़कर जो वसीयतनामा या किसी दूसरी दस्तावेज़ द्वारा वली नियुक्त किया गया है कोई भी जायदादका वलीजो अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किया गया है बिना अदालतकी आज्ञाके:(ए) अपने नाबालिग़की गैरमनकूला जायदाद का कोई हिस्सा रेहन, बय, या हिबाया और किसी तरहसे अलहदा नहीं करेगा;
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(बी) नाबालिग़ की जायदादके किसी हिस्सेके लिये पांच साल से ज़्यादाका पट्टा नहीं लिख सकेगा और न नाबालिग़की