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गार्जियन एण्ड वाईस
नाबालिगी ख़तम होनेके बाद एक सालसे अधिक के लिये कोई पट्टा लिख सकेगा;
गा दफा २७ - ३१]
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- दफा ३० दफा २८ या २९ के स्थिति कियेहुए इन्तक़ालात का ग्रलत होना
अगर वली ऊपर लिखी हुई दोनों दफाओं में से किसीके विरुद्ध नाबालिग़की ग़ैरमनकूला जायदाद अलहदा करे तो कोई भी व्यक्ति जिसको इस सौदासे हानि पहुँचतीहो सौदाको अस्वीकृतकर सकता है ।
दफा ३१ दफा २९ के अनुसार जायदादके इन्तक़ालकी आज्ञा देने का तरीका
( १ ) वलीको केवल श्रावश्यकता पड़ने पर या नाबालिग़का प्रत्यक्ष लाभ देखकरही अदालत द्वारा उन कार्योंके करनेकी स्वीकृति मिल सकेगी जिनका उल्लेख दफा २६ में है अर्थात् और किसी दशा में अदालत स्वीकृत न देगी।
(२) अदालत इस प्रकारकी स्वीकृत देते समय अपने हुक्ममें श्राव श्यकता अथवा नाबालिगको होनेवाले प्रत्यक्ष लाभका भी हवाला देवेगी और उसमें उस जायदाद का भी उल्लेख होगा जिसकेलिये स्वीकृतिदी जारही है और अगर अदालत उस स्वीकृति के साथ कोई शर्तें लगाना मुनासिब समझे तो उन शर्तों का भी उल्लेख हुक्ममें होगा। जज अदालत इस हुक्मको अपनेही हाथ से लिखेगा व तारीख डालकर अपने हस्ताक्षर भी उस हुक्मपर करेगा या यदि किसी कारणवस वह जज स्वयं हुक्मको न लिख सके तो बोलकर दूसरेसे लिखवा देगा और उसपर तारीख व हस्ताक्षर स्वयं करेगा ।
( ३ ) अदालत अपने हुक्ममें समझके अनुसार अन्य शर्तोंके साथ उन शर्तोंको भी रख सकती है:
(ए) कि बिना अदालतकी स्वीकृतिके कोई बयनामा पूरा न समझा जावेगा;
(बी) कि बयकी जानेवाली जायदादका ऐलान हाईकोर्टके बनाये हुए उन नियमों के अनुसार किया जावेगा जिन्हें अदालत मुनासिब समझे और ऐलानके बाद आमतौरपर अदालत के सामने या अदालत द्वारा इस काम के लिए नियुक्त किये हुए व्यक्ति के सामने बयकी जाने वाली जायदादका नीलाम किया जावेगा और बोली सबसे अधिक दाम लगाने वाले व्यक्तिके हक़ में समाप्त की जावेगी ।