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________________ गादफा २०-२६] गार्जियन एण्ड वाईस ३६७ -दफा २३ वलीकी हैसियतसे कलक्टरके अधिकार यदि कोई कलक्टर अदालत द्वारा किसी नाबालिग़की ज़ात या जायदाद या दोनोंका वली नियुक्त या घोषित किया जावे तो वह कलक्टर नाबालिरा की वलायत सम्बन्धी सभी बातोंमें प्रांतिक सरकार या उस व्यक्तिकी अधीनता में रहेगा जिसे सरकार सरकारी गज़ट द्वारा उस सम्बन्धमें नियुक्त करे। -दफा २४ जातके वलीके कर्त्तव्य नाबालिग़की देख रेखका भार नावालिराकी ज़ातके वलीपर है और उसको चाहिये कि वह नाबालिग़की परवरिश तन्दुरुती और तालीम का ध्यान रक्खे जो और उन बातोंका ध्यान रक्खे जो नाबालिग़के जातीय कानूनके अनुसार उचित हों। -दफा २५ नाबालिग्रको देखरेखमें रखनेके लिये वलीके अधिकार (१) अगर नाबालिग अपनी ज़ातके वलीको छोड़ दे या उसकी देख रेखसेहटा दिया जावे और अगर अदालतकी रायमें नाबालिग़की भलाई के लिये उसका वलीकी देख रेखमें रहना उचित प्रतीत हो तो अदालत उसके वापिस जाने के लिये आज्ञा निकाल सकती है और ऐसी आज्ञाको कार्य रूपमें परिणित करने के लिये नाबालिग़ को गिरफ्तार करा कर वली की सुपुर्दगी में दे सकती है। (२) नाबालिगको गिरफ्तार करनेके लिये भदालत उस अधिकारका प्रयोग कर सकती है जो सन १८९८ ई० के जाबता फौजदारीकी दफा १०० के अनुसार मजिस्ट्रेट दजा अव्वल को प्राप्त है। (३) यदि नाबालिग़ अपने वलीकी इच्छाके विरुद्ध किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहे जो उसका वली नहीं है तो इतनी ही बातसे उसका सम्बन्ध बलीसे नहीं टूटेगा। -दफा २६ नाबालिग्रका अधिकार, सीमासे हटा दिया जाना (१) यदि वलीकी नियुक्त या घोषणा अदालत द्वारा हुई हो तो वह चली नाबालिग को अदालतकी बिला आशाके अदालतकी अधिकार सीमासे नहीं हटा सकेगा। केवल उनहीं कामोंके लिये हटा सकता है जोकि निर्धारित हों परन्तु यह बात कलक्टर या उस वलीके लिये लागू नहीं है जो वसीयत नामा या किसी दूसरी दस्तावेज़ द्वारा नियुक्त किया गया हो।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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