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दत्तक या गोद
[ चौथा प्रकरण
( ५ ) उस लड़के के हक़ में दानपत्र ( हिबा ) जिसके साथ उसका प्रेम हो - यह बात पहिले भी बताई गई है कि जब कोई आदमी अगर किसी लड़के को ज़िंदगी भर परवरिश करे, उसकी शादी करे तथा अपने असली लड़के की तरह पर हमेशा मानता रहे और उसके साथ वैसाही वर्ताव करता रहे जैसा कि सगे लड़केके साथ होना चाहिये था, तो भी वह लड़का उस आदमीके मरने के बाद जायदादमें कुछ भी भाग नहीं पायेगा । लेकिन अगर ऐसे लड़के को पालने वाले आदमी की तरफ से हिबानामा ( दानपत्र ) कर दिया जाय तो उस बुनियाद पर लड़के को जायदाद मिल जायगी बशर्ते कि दानपत्र अन्यसब बातोंसे जायज़ क़रारदिया गया हो। देखो श्रब्याचारी बनाम रामचन्द्रया 1. Mad. H. C. 393, [ और देखो सोलहवां प्रकरण ]
(६) वसीयतनामा कब नाजायज़ हो जायगा - जब कोई आदमी या विधवा किसी लड़के को दत्तक लेलेवे और उस दत्तककी रसमें या जिन बातों से वह जायज़ हो सकता था उनको अपनी समझ से पूरा कर लेवे और बाद को उस दत्तक पुत्र के नाम एक बसीयत करे जिसका नतीजा यह हो कि मैंने तुमको दत्तक लिया था और दत्तककी हैसियत से तुम मेरी सब जायदाद के मालिक मेरे मरने के पश्चात् होगे, तथा मेरे लिये व मेरे पितरों के लिये पिण्डदान, आदि की धार्मिक कृत्य पूरी करना । इस मतलब की वसीयत लिखने के बाद उस आदमी या विधवा के मरने पर अगर दत्तक नाजायज़ क़रार दी जावेगी तो वसीयतनामा भी नाजायज़ क़रार पावेगा । जुड़ीशल कमेटी ने फरमाया कि दत्तक मय वसीयतनामा के नाजायज़ है सबब यह बताया गया कि ज़ाहिरा वसीयत करने वाले का यह इरादा था कि वह बहैसियत दत्तक पुत्र के जायदाद उसे देवे। देखो - फणेन्द्रदेव बनाम राजेश्वरदास 12 I. A. 72; S. C. 11 Cal. 463 दुर्गासुन्दरी बनाम सुरेन्द्र केशव 12 Cal. 686; कृष्णदास बनाम लादकाबाहू 12 Bom. 185; श्यामाबाहू बनाम द्वारिकादास 1 B. 202; पटेल वृन्दावन जैकिशुन बनाम मन्नीलाल 15 Bom, 673; अब्बा बनाम कुप्पामल 16 Mad. 355.
( ७ ) जब गोद लेने की आशा कई स्त्रियों को दी गई हो और सबने गोद लिया हो - मुल्ला हिन्दू लॉ में कहा गया है कि जब इकट्ठा एक या दो या अधिक दत्तक लेने की आशायें दी गयीं हों तो वह नाजायज़ हैं। देखो मुल्ला हिन्दू लॉ ऐड़ीशन दूसरा पेज ३६० दफा ४०० इस सिद्धांत पर एक नज़ीर देखो । जिस नज़ीर का परिणाम यह है । ऐसा मानों कि रामलाल
दो औरतें हैं उन दोनों औरतों के लड़के नहीं हैं, और रामलाल यह इच्छा. रखता है कि दोनों एक एक पुत्र दत्तक लेवें । रामलाल अपने मरने से पहिले यह आज्ञा दे गया था कि दोनों विधवायें अलग अलग एक एक लड़का गोद लेवें । इस आशा के अनुसार दोनों विधवाओं ने लड़के गोद लिये अदालत से