________________ दफा 264-365] दत्तक सम्बन्धी अन्य ज़रूरी बातें 315 पश्चात् हिबानामाके, मुरलीधरकी दत्तक नाजायज़ होगई तो अब सवाल यह उठता है कि हिबा ठीक रहा या वह भी नाजायज़ हो जायगा ? इसका उत्तर यह है कि दत्तक नाजायज़ होनेकी वजहसे हिबा नाजायज़ नहीं होगा हिबा ठीक माना जायगा / यह माना गया है कि दत्तक के विषयसे हिबाका झ्यादा सम्बन्ध नहीं है। (2) दत्तक पुत्रके हक़में किस सूरतमें वसीयत जायज़ होगा-जब कोई मृत्युपत्र ( वसीयतनामा) ऐसा लिखा गया हो कि "मैने अमुक लड़के को गोद लिया है और मैं अपनी जायदाद उसे देता हूँ, मेरी स्त्रियां मेरा धर्म कृत्य पूरा करेंगी और जब तक लड़का बालिग न हो जाय उसकी परवरिश करेंगी तथा इस लड़केकी ज़िदगीमें उनको गोद लेने का अधिकार नहीं रहेगा" प्रिवीकौन्सिल ने यह राय दी कि अगर उसकी विधवायें वसीयत की पाबंदी भी न करतीं तो भी वसीयती हिबा जायज़ था-देखो-निघोमनी देवी बनाम सरोदाप्रसाद 3 I. A. 253, S. C. 26, Suth 91. (3) उस लड़केके हनमें वसीयत,जिसे वसीयत करने वाला प्रेमकरता हो-नीचे के मुकद्दमें में एक पुरुष ने यह विचार किया था कि मैं जायदाद एक दूसरे लड़के को दे दूं जिसके साथ उसका प्रेम था। बाद में उसने उस लड़के को गोद ले लिया और वसीयत के ज़रिये से अपनी जायदाद उसे दे दी। पुरुष के मरने पर दत्तकनाजायज़ होगया मगर अदालत ने वसीयत नामा को बरकरार रखा-देखो-वीरेश्वर बनाम अर्द्धचन्द्र 19 I. A. 101. S. C. 19 Cal. 452. (4) वसीयत की बुनियाद पर राजा साहबके मुकदमेंका फैसला-एक खास किस्म का मुकदमा देखो, जिसमें एक राजा साहब ने बहुत रोज़ बिला औलाद रहने के कारण एक पुत्र दत्तक लिया, दत्तक लेने के बाद राजासाहब की स्त्रियों में से एक के, एक औरसपुत्र पैदा होगया, राजा साहब ने एक वसीयत की कि धर्मशास्त्रानुसार सब जायदाद औरसपुत्र को पहुंचती है इस लिये मेरी सब जायदाद का वारिस औरसपुत्र होगा, तथा दत्तक पुत्र को सिर्फ नान नाका (रोटी कपड़ा) मिलेगा। राजा साहब के मरने पर दत्तक पुत्र ने दावा दायर किया, कहा गया कि वसीयत नाजायज़ है और सब जायदाद बादी को मिलना चाहिये, अदालत मातहत ने दावा सभी बुनियादों पर डिकरी कर दिया। मदरास हाईकोर्ट के सामने सिर्फ अपील वसीयत की बुनियाद पर की गई, अपील में इस बात पर विचार किया गया कि वसीयत जायज़ है अथवा नाजायज़ / हाईकोर्ट ने वसीयत जायज़ करार दिया, जजों की राय थी कि वसीयत फरेबन नहीं किया गया, कानूनन् जायज़ था और औरसपुत्र उसका वारिसथा यह मदरास हाईकोर्ट का फैसला प्रिवीकौन्सिल ने स्वीकार किया -देखो, वेंकटा सुरैय्या महीपति बनाम दि कोर्ट आफ् वार्डस 20 Mad 167; 26 I. A. 83; S.C. 22 Mad 383,