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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
कभी कुछ नहीं मिलता है जबकि दत्तकके बाद असली लड़का पैदा हो जावे । उनमें पिताको अधिकार है कि असली पुत्र होनेपर दत्तकको निकाल दे या जो चाहे करे । और देखो दफा २८१.
दत्तक पुत्र और बादमें पैदा हुएपुत्र-बम्बई प्रांतमें दत्तक पुत्रको गोदके बाद पैदा हुए पुत्रके मुताबिले में एक चौथाई हिस्सा मिलता है । तुकराम बनाम रामचन्द्र 49 Bom. 612; 89 I. C. 984; 27 Bom. L R. 921. A. I. P. 1925 Bom. 425. दफा २७२ शूद्रोंमें दत्तकपुत्र और असली लड़केके हक़ - दत्तकचन्द्रिकायाम्-दत्तपुत्रे यथा जाते कदाचित्त्वौरसो भवेत् । पितुर्वित्तस्य सर्वस्य भवेतां सम भागिनौ । इत्यपि वचनं शूद्रविषये एव योजनीयम् । शूद्रस्य तु सवर्णैव नान्या भायापदिश्यते । तस्यां जाता समांशः स्युर्यदि पुत्र शतं भवेत् । इत्यत्र वचने शूद्राणां भार्योत्पन्नानां सर्वेषां समाशमभिधाय पुनयदि पुत्र शतभित्यनेन पुत्रान्तराणामपि समां शता प्रतिपादिता।
भावार्थ--दत्तकपुत्रके लेने के बाद यदि औरसपुत्र पैदा होजाय तो गोद लेनेवाले पिताका धन दोनों पुत्र वराबर में बांट लेवे, यह वचन सिर्फ शूद्रोंके विषयमें कहागया है औरसपुत्रसे तात्पर्य यह है कि जब वह पुत्र उस स्त्रीसे पैदा हआ हो जो सवर्ण की होः उस पत्रके बारेमें आधा भाग पाना कहागया है और अगर दत्तकके बाद एकसे अधिक पुत्र औरस पैदा होजावे तो सब पुत्र दत्तक सहित बराबर भाग पाने के अधिकारी हैं 'शतं' शब्दसे 'अनेक, का अर्थ होता है, मतलब यह है कि, कितनेभी औरस पुत्र, दत्तकके पश्चात् पैदा हो जायें सब पुत्र बराबर भाग पानेके अधिकारी हैं; दत्तकमीमांसाकार इसको और तरहपर कहते हैं कि जब औरस पुत्र में अच्छे गुण न हों तो आधा भाग मिलेगा।
(१) मद्रास हाईकोर्ट और बाबू श्यामाचरणकी राय-मदरास हाईकोर्ट में माना गया है कि, शूद्रोंमें दत्तक के पश्चात् पैदा हुए औरसपुत्रके दरमियान जायदाद दोनों बराबर पावेंगे; यही राय मिस्टर मेकनाटन साहेबकी है मि० थामससाहेब कहते हैं कि, दक्षिणी हिन्दुस्थानके शूद्रोंमें यही प्रचार है: मि. गिलबन साहेब कहते हैं कि, यही बात पांडीचरीमें भी मानी गई है; सीलोन