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________________ दत्तक या गोद [ चौथा प्रकरण और अगर कोई ऐसा लड़का गोद लिया गया हो कि जिसका जातकर्म, अन्नप्राशन आदि संस्कार गोद लेनेवालेके घरमें ही किये गये हों तो बहुतही श्रेष्ठ है । इस कहने से यही नतीजा है कि चूड़ा संस्कारके पूर्व गोद लेना चाहिये । 'दत्तक आदि' पद जो ऊपर कहा गया है उससे दत्तक और कृत्रिम पुत्र आदि समझना चाहिये क्योंकि उनके भी संस्कार करनेसे पुत्रत्व प्राप्त होजाता है बिना संस्कार किये पुत्रत्व भाव किसी लड़के में नहीं होता यानी सिर्फ़ लड़का गोद लेने से पुत्रत्वभाव नहीं हो जाता बक्लि ऐसा लड़का दास कहलाता है । चूड़ा आदि संस्कार अगर असली बापके घरमें लड़केका हो चुका हो और ऐसा लड़का गोद लियाजाय तो उसमें पुत्रत्वभाव नहीं आता वक्लि उसे दास कहते हैं इसपर उदाहरण यह दिया गया है कि जैसे कोई लकड़ी बिना मिस्त्री के ठीक किये खम्भाके योग्य नहीं बन सकती उसी तरहपर बिना संस्कार के पुत्रत्वभाव नहीं आता । २२८ अगर यह कहा जाय कि जिस लड़केका चूड़ा आदि संस्कार असली 'बापके घर में अधिक उमरतक नहीं हुआ हो तो क्या वह पुत्र गोद्र लेनेके योग्य है ? इसका उत्तर यह है कि जिस लड़केका ऐसा संस्कार न भी किया गयाहो तो वह पांच वर्षकी उमरसे ज्यादाका गोद लेने योग्य नहीं है अब यह स्पष्ट हुआ कि दत्तक पुत्रकी उमर, दत्तक लेने के समय, पांच वर्षसे ज्यादा न होना चाहिये । पांच वर्षकी उमरके बादका समय 'गौण' कहलाता है और गौण कालमें दत्तक लेनेको मना किया गया है, गौण काल वह है कि जो निश्चित और योग्य कालके बाद हो. यहां पर पांच वर्ष तक लड़का गोद लेना चाहिये यह माना गया । मतलब यह हुआ कि लड़के के जन्मसे तीन वर्षतक उचित काल दत्तक लेनेका है और तीन वर्षकी उमरके पश्चात् पांच बर्षतक अर्थात् दो वर्ष गौण काल है। नतीजा यह है कि तीन वर्षकी उमर के अन्दर तो अत्युत्तम समय गोद लेनेका हुआ और आगे दो साल निकृष्ठ । कहीं ऐसा भी देखा जाता है कि चूड़ा संस्कार उपनयन के साथही कर लेते हैं और उपनयन आठवें वर्ष में होता है, इसका विरोध किया गया है । चूड़ा संस्कार तीसरे वर्ष होना योग्य है और तीन वर्षके बाद पांच वर्षका समय गौण है । यदि गौण समय भी निकल गया हो तो गोद नहीं लेना चाहिये क्योंकि उस 'पुत्रत्वभाव नहीं आता। इसी बात की पुष्टि यज्ञेश्वरने भी की है कि तीसरे वर्ष चूड़ा संस्कार श्रेष्ठ है मगर चौथे या पांचवें साल श्रेष्ठ नहीं है । ऊपरके सब बचनों से जो नतीजा निकलता है वह यह है कि दत्तक पुत्रकी उमर गोद लेने के समय पांच वर्षसे अधिक न होनी चाहिये, और लड़केका चूड़ा संस्कार न हुआ हो। चूड़ा संस्कार और उमरके बीच उमरका ज़्यादा ख्याल रखना उचित है । नीलकंठ और मिताक्षरा तथा पं० जगन्नाथ भट्टका मत--नीलकंठ और मिताक्षरा भी यही कहते हैं कि जिस लड़के की उमर पांच वर्ष से ज्यादा
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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