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दफा १५२ ]
दत्तक देने के साधारण नियम
अनुचित अवश्य है परन्तु फेक्टमवेलेट ( Factum valet; दफा ७३ ) के सिद्धांतानुसार अदालत उसे नाजायज़ नहीं कर देती देखो 7 Indian
Cases 427.
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(५) पुतलाबाई बनाम महादू 33 Bom 107 में यह बात थी कि माताने अपनी दूसरी शादी कर ली, पीछे पहले पतिके पुत्रको दत्तक दिया अब यह प्रश्न उठा कि उसका दत्तक देना जायज़ है या नहीं ? जस्टिस स्काट ने कहा कि पुनर्विवाहित माता अपने प्रथम पतिसे उत्पन्न पुत्रको दत्तक देनेका अधिकार रखती है । इस मामले में पहले के कई मुक़द्दमोंका तथा स्मृतियोंका और क़ानून के अर्थका विवेचन किया गया है; और देखो इसी तरहका केसरामकृष्ण हिन्दूलॉ पेज ११३.
सूरत
(६) बाप मुसलमान हो गया था और माता मर गयी थी; ऐसी में पुत्रके चाचा ने दत्तक दिया और दत्तक हवन किया । मुसलमान बाप ने अपना दत्तक देनेका अधिकार अपने भाई को दिया था । जस्टिस केनडीने एक्ट नं० २१ सन १८५० ई० का हवाला देकर कहा कि ऐसा अधिकार दिया जासकता है; देखो -- श्यामसिंह बनाम शांता बाई 25 Bom 551,553. दफा १५२ सगा या सम्वन्धी दत्तक नहीं दे सकता
बाप और माता के सिवाय और कोई आदमी दत्तक नहीं दे सकता चाहे वह कितनाही नज़दीकी हो । जैसे भाई अपने भाईका दत्तक नहीं दे सकता, किसी ख़ास सूरतमें भाईका दिया हुआ दत्तक 'फेक्टम वेलेट' ( दफा ७३ ) के सिद्धांत से जायज़ मान लिया गया है परन्तु आम क़ायदा नहीं है । बाप और माता से यहांपर असली बाप और माता से मतलब है । यदि किसी लड़की मां पिताकी ज़िन्दगी में मर गयी हो और पिताने दूसरा विवाह किया हो तो, वह सौतेली मां सौतेले पुत्रको दत्तक नहीं दे सकती । इसी तरह पर जिसके अनेक स्त्रियां हों तो जिसके गर्भ से जो पुत्र पैदा हुआ होगा उस पुत्र को उसकी माता ही गोद दे सकती है । धर्म शास्त्रकारोंका मत भी यही है । और देखो -- --लक्ष्मप्पा बनाम कामप्पा 12 Bom H. C. 364; सोमशेखर बनाम सुद्रामाजी 6 Bom. 524 ( P. C. ) 130; पापा अम्मा बनाम अप्पाराव 16 Mad. 384; भाई अपने भाईको नही दे सकता; देखो व्यवस्था दर्पण श्यामाचरण सरकार P. 825; तारामनी बनाम देवनरायन 3S D. 387 - 516 मुसामी बनाम लछमी Mad. 1882 P. 97, See F. Maon 223; विरायरमल बनाम नारायण पिले 1 N. C. 91; अगर दादा या अन्य रिश्तेदार ने दत्तक दिया हो तो नाजायज़ है; देखो -कलक्टर आफ सूरत बनाम धीरसिंह fr 10 Bom. H. C. 235.