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दफा १५०-१५१
दत्तक देनेकै साधारण नियम
(२) कौन दत्तक दे सकता है ?
दत्तक विषय का दूसरा भाग तीन हिस्से में बटा हुआ है ( क ) दत्तक देने के साधारण नियम फा १५ -१५५ ( ख ) कौन लोग दत्तक देनेका अधिकार रखते है ? दफा १५५-१६५ (ग) कौन दत्तक देनेका अधिकार नहीं रखते ? १६६-१७..
(क) दत्तक देनेके साधारण नियम
दफा १५१ धर्मशास्त्र और कानूनका विवेचन
(१) प्रायः सभी धर्मशास्त्रकारोंका मत है कि दत्तक दिया जाने वाली पुत्र कम उमर का हो और कम उमर के संबब से उसे विवेक नहीं हो सकता इसलिये पुत्रको पिता अथवा पिताकी आमासे माता ही दत्तक में कसती है। इस विषय में महर्षि मनु कहते हैं कि
माता पिता वा दद्यातां यमद्भिः पुत्रमापदि सदृशं प्रीति संयुक्तं सज्ञेयो दत्रिमः सुतः। मनु-१६८
दत्तक पुत्र उस समय माना जायगा जब माता या पिता सङ्कल्प करके किसी को सजाति में उसे दे देवें । और देखो वसिष्ठ ने कहा है १५-१-२
शोणित शुक्रसंभवः पुरुषो माता पितृनिमित्तकः तस्य प्रदान विक्रय त्यागेषु मातापितरौ प्रभवतः। न स्त्री पुत्रं दद्यात् प्रति गृह्णीयादान्यत्रानुज्ञानाद्भर्तुः।
पुत्र, रुधिर और शुक्रसे पैदा होता है और उसके पैदा होनेके कारण माता और पिता ही हैं। इसलिये उसके देनेमे, त्याग करने में माता और पिताहीका अधिकार है:बिना पतिकी आशाके स्त्रीको पुत्रकेदेने और लेने का अधिकार नहीं है । वसिष्ठके उपरोक्तं वाक्यका अर्थ यह है कि पुत्रके दत्तक देनेका अधिकार पिता और माता दोनोंको प्राप्त है । मगर अन्तिम वाक्यसे स्पष्ट है कि उन दोनोंमें पिताका अधिकार प्रधान है। मतलब यह निकला कि पिता, बिना अनु
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