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दफा १२४-१२६]
विधवाका गोद लेना
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नहीं ले सकतीः देखो-मेन हिन्दूला छठवां एडीशन पेज ११७ मुल्ला हिन्दूला दूसरा एडीशन पेज ३८० दफा ३८१ ___व्यभिचारिणी विधवा गर्भवती होनेपर दत्तक नहीं ले सकती चाहे उसे पतिकी आज्ञा मिल चुकी हो--थूकू बनाम रूमा 2 Bor. 446, 456; श्यामलाल बनाम सौदामिनी 5 B. L. R. 362; यदि दत्तक लेनेके बाद विधवा गर्भवती साबित हो और यह भी साबित हो कि गोदके समय वह व्यभिचारिणी थी तो दत्तक नाजायज़ होगा किन्तु दफा ४२ पैरा ६ का ध्यान ज़रूर रहना चाहिये। दफा १२६ सूतकमें दत्तक लेना
जो दत्तक सूतककी समाप्तिके पहले लिया गया हो वह नाजायज़ है अर्थात् मातमकी मियाद खतम होनेके पूर्व दत्तक नहीं लिया जासकता-रामलिङ्गपिल्ले बनाम सदाशिव 9 Mad. I. A. 506.
शूद्रोंमें दत्तक लेनेके समय किसी धार्मिक विधवाकी आवश्यकता नहीं है सिर्फ लेना और देना ही काफी है। इन्द्रामणी चौधरानी बनाम बिहारीलाल मलिक 5 Cal. 770; 7 I. A. 24 इसीलिये अगर कोई शूद्रानी सूतकके समय दत्तक ले लेवे तो वह नाजायज़ नहीं होगा । द्विजोंके लिये सूतकमें दत्तक लेना नाजायज़ है; देखो-थंगथन्ना बनाम राममुदाली 5 Mad. 358. दफा १२७ धमकी देकर मोद दिलानेका असर
एक मुक़द्दमेमें जब पतिकी लाश घरमें पड़ी थी. उसकी नाबालिग विधवाको यह धमकी देकर कि जबतक वह दत्तक नहीं लेगी तबतक लाश उठने नहीं पायेगी, गोद दिलाया गया, तो उस विधवाका यह दत्तक लेना इस बुनियादपर नाजायज़ मानागया कि बेजा असर और धमकी देकर दत्तक दिलाया गया था और एक यह बुनियाद भी मानी गई कि दत्तक लेते समय विधवा सूतकमें थी। देखो-रंगनायकम्मा बनाम अनवरसेटी 13 Mad. 2143; देखो दफा १३६. दफा १२८ पुनर्विवाहित विधवाका गोद लेना।
:: कोई विधवा जो अपना पुनर्विवाह करले उसके बाद पहले पतिके लिये गोद नहीं ले सकतीः देखो-पञ्चप्पा बनाम सनगमवसाबा 24 Bom. 8994; पुतलाबाई बनाम महादू 33 Bom. .107. दफा १२९ अनेक लड़कोका गोद लेना
जहांपर जायज़ माना गया है, विधवा एकके बाद दूसरेके क्रमसे अनेक लड़के गोद ले सकती है । मगर गोद लेनेके समय पहला लड़का जीवित न हो, .