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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
यदि पतिने स्पष्ट मनाही करदी हो तो नहीं ले सकती; देखो-29 Mad. 382, 23. I. A. 145.
उदाहरण-अजने अपनी स्त्रीको एक पुत्र गोद लेनेका अधिकार दिया और मरगया। विधवाने रामदासको गोदलिया। रामदास मरगया तव शिवदासको गोदलिया। अगर वह भी मर जाय तो विधवा तीसरा, चौथा गोद लेसकती है। मानागया है कि अधिकार एकही पुत्र पर नहीं समाप्त हो जाता
और अगर पतिने दूसरा लड़का गोद लेनेकी स्पष्ट मनाही करदी हो तो नहीं लेसकती क्योंकि उस सूरतमें अधिकार पहिला लड़का गोद लेते ही समाप्त हो जाता है । प्रिवीकौंसिल की राय कुछ इसके विरुद्ध है; देखो-19 I. A. 108;19 Cal. 513. इस फैसले से शास्त्री जी० सरकार असंतुष्ट हैं । दफा १३० पतिके मनाही करनेपर दत्तक
यह नियम प्रायः सब जगह पर माना जाता है कि जब पति स्पष्ट मनाही कर गया हो कि मेरे लिये दत्तक न लिय जाय तो विधवा गोद नहीं ले सकती।
गोदका अधिकार देनेकी रीति और असर
दफा १३१ गोद लेने का अधिकार कैसे दिया जायगा ?
__ प्रत्येक हिन्दू आदमी गोद लेनेका अधिकार अपनी स्त्रीको ज़बानी और लिखा हुआ दोनों तरहसे दे सकता है-( 1905 ) 28 All. 377; 33 J. A. 55. गोद लेनेका अधिकार वसीयतनामे के द्वारा भी दिया जा सकता हैसरोदा बनाम तिनकोरी 1 Cal. H. R. 223; 1 Mad. 174; 4 I. A. ].
किसी विशेष बातके होनेपर भी दत्तक विधान जायज़ समझा जायगा, बशर्ते कि उस बातके होनेपर दत्तक विधान हुआ हो; यानी अधिकार देनेके लिये कोई खास रीति आवश्यक नहीं है। अधिकार किसी शर्तके साथ भी दिया जासकता है जो किसी विशेष घटनाके होनेपर काममें लायाजाय । मगर यह ज़रूर है कि अधिकार देनेवालेके लिये उस समय कोई ऐसी बात न हो जिससे वह अधिकार देनेकी योग्यता न रखता हो 1 Beng. S.D. 324 जैसे पति अपने पुत्रके जीवनकालमें स्वयं कानूनन् दत्तक नहीं लेसकता इसलिये उसका दिया हुआ अधिकार नाजायज़ होगा। अगर मा और पुत्र में मतभेद रहता हो तो ऐसे पुत्रके मर जानेपर अधिकार जायज़ होगा । इसी तरह पर