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दफा ३७]
हिन्दूलों के स्कूलोंका वर्णन
प्राकृतिक न्यायसे वह मामले विरुद्ध न हों देखो अप्पा बनाम पादप्पा 23 Bom 1223 24 Bom. 13. अगन्नाथ चरण बनाम अकाली दासी 21 Cul. 463, 17 Mad. 222; 12 Mad 495; 10 Mad. 133.
. नीचेके मुकद्दमोंमें माना गया कि, केवल सामाजिक हक्रकी हानि अदालतके हस्तक्षेप करनेके लिये जायज़ करार नहीं दी जायगी देखो-15 Bom. 519; 10 Bom 661; 18 Bom. 115; 3 Ben. L. R. 91; 11 W. R C. R. 457; 1W. R. C. 351.
बम्बई प्रान्त--बम्बई द्वीपको छोड़कर सारे बम्बई प्रांतकी अदालतोंको हुक्म है कि वे क्रोम या जातिसम्बंधी किसी प्रश्नपर विचार न करें सिवाय उन मुक़दमोंके जिनमें जाति च्युत होने या दूसरे कारणसे क्षति पहुंची हो और उस क्षतिके पूरा करने के लिये हर जानेका मुकदमा दायर किया गया हो अथवा महईके आचरण (चालचलन) में किसीने अपने बे कानूनी कामोकं द्वारा या अपने अनुचित वर्तावसे नुकसान पहुंचाया हो और उसकी क्षति पूर्ण करने के लिये हानिपूर्तिका दावा किया गया हो, देखो-1 Bom. Reg. 2 of 1827, S. 21; 5 Bom. 83-84; 11 Bom. 534.
इस विषयमें ज़ायता दीवानी सन १६०८ की दफा भी देखो-कहा गया है कि "जिस दावेमें मिलिकियत या किसी हकका झगड़ा हो उसकी नालिश दीवानी अदालतमें होगी, चाहे वह हक पूर्णरूपसे किसी मज़हबी रसम या रवाजपर निर्भर हो"।