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दफा १६-१७]
हिन्दूलॉ के स्कूलोंका वर्णन
२३.
31 A. 477, 6 A. L. J. 591; | 31 A. 407; 31 C. 448.
3 Ind.Case 563; 31 Cal. 448. ५-कोपार्सनरोंके हक़की बुनियादपुत्रके | कोपार्सनरोंके हककी बुनियाद बापके जन्मसेही होती है । बापकी जिंद- मरने के बादसे होती है । बापकी जिंदगीमें पुत्र कोपार्सनर होता है। गीमें पुत्र कोपार्सनर नहीं होता। स्त्रिस्त्रियां कभी कोपार्सनर नहीं होती। यांभी वारिस बनकर कोपार्सनर हो
| जाती हैं। ६-जब किसी आदमीने मुश्तरका खान- | मुश्तरका खानदानके किसी आदमीपर दानकी जायदादका हिस्सा नीलाम- | जब अदालतसे कर्जेकी डीगरी हो और में खरीद किया हो तो वह कभी उसके नीलाममें जिसने जायदाद खरीकोपार्सनर नहीं होगा, बल्कि उसे दी हो वह खरीदार उस श्रादमीके बटवारा कराना होगा तब खरीदी | स्थानापन्न होकर कोपार्सनर हो जाता हुई जायदादपर वह क़ब्ज़ा पावेगा | है, इसी तरहपर पट्टेदार, ठेकेदार भी पट्टेदार, ठेकेदार, कभी कोपार्सनर | होजाता है। नहीं हो सकता, और न उनका स्थानापन्न हो सकता है। ७-मुश्तरका खामदानके सब लोग मुश्तरका खानदानके सब लोग जायजायदादको काबिज़मुश्तरक ( Joi- दादको कबिज शरीक ( Tenant in ntteuant ) रखते हैं यानी सर- common ) रखते हैं यानी सरवाइवाइवरशिपके हनके साथ कञ्जमें वरशिपका हक्न नहीं होता । तथा रखते हैं। तथा मुश्तरका खानदान मुश्तरका खानदानके मेनेजरके अधिके मेनेजर के अधिकार ट्रस्टीकी | कार बहुत कुछ टूस्टीकी तरह हैं 32
तरह नहीं होते। देखो 32M 271. M. 271, 19; M. L. J. 70. ८-जब कोई मुश्तरका खानदानका | जब कोई मेम्बर बटवारेका दावा करे मेम्वर बटवारेका दावा करे तो वह | तो वह पिछला हिसाब मुश्तरका खा. मेनेजरसे पिछला हिसाब नहीं मांग नदानका मेनेजरसे तलब कर सकता है। सकता, सिर्फ यह पूछ सकता है कि इस वक्तका हिसाब कितना है। दफा १७ मुश्तरका जायदादमें बाप और बेटेका हक़
दायभाग यानी बंगाल स्कूल और मिताक्षरा स्कूलमें बहुत बड़ा फरक है। बंगाल स्कूलका सिद्धांत है कि बाप अपनी जिंदगीमें अकेला तमाम जायदादका मालिक है यानी बेटे बापके जीतेजी जायदादके बटवारा करानेकी बातभी नहीं कहसकते और न ज़ोर दे सकते हैं क्योंकि बेटोंके लिये मिलकि